शिमला. कोरोना ने हिमाचल में पर्यटन कारोबार की हालत पतली कर दी है. कोविड के चलते प्रदेश में लगी बंदिशों से कारोबार ठप पड़ा है, हालांकि होटल खुले हैं, लेकिन टूरिस्ट नहीं है. 99 फीसदी होटल खाली पड़े हैं. इस बीच टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े कुछ लोगों ने बाहरी राज्यों से हिमाचल में एंट्री की शर्तों में सरकार से ढील देने की मांग की थी.
पर्यटन कारोबारियों की इस मांग पर सीएम तलख हो गए हैं. सीएम जय राम ठाकुर ने साफ कहा कि इन लोगों को समझना चाहिए कि इस वक्त परिस्थितियां क्या हैं? सरकार मदद करना चाहती है लेकिन ऐसे समय में इस तरह की मांग और प्रश्न तर्कसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार की पहली प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है. कोरोना की स्थिति सामान्य होने के बाद सरकार पर्यटन उद्योग को पटरी पर लाने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी.
झल्लाए सीएम जयराम
सीएम ने तलख होकर कहा कि हालात विपरीत चल रहे हैं लेकिन हर चीज के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है. साथ ही कहा कि कारोबारियों की लोन संबंधी मांग को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं आया है, अगर प्रस्ताव आता है तो सरकार इस पर विचार करेगी. वहीं, दूसरी ओर, टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेक होल्डर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंदर सेठ का दावा है कि 95 फीसदी से ज्यादा होटल कारोबारी ऋण की किश्त नहीं दे पा रहे हैं और उनके बैंक खाते एनपीए हो सकते हैं. ऐसे में उन्होंने सरकार से मांग की है कि कारोबारियों की मदद के लिए केंद्र सरकार और आरबीआई से बात की जाए. एसोसिएशन ने राहत के लिए सरकार से आर्थिक पैकेज की भी मांग की है. साथ ही बिजली,पानी, कूड़े के बिल समेत टैक्स में रियायत देने की भी मांग की है. मोहिंदर सेठ ने कहा कि इन मांगो को लेकर एसोसिएशन ने केंद्र को भी चिठ्टी लिखी है.
टूरिज्म रीढ की हड्डी
हिमाचल में टूरिज्म अर्थव्यस्था की रीढ़ की हड्डी है. हर साल हिमाचल में देशी और विदेशी 2 करोड़ टूरिस्ट पहुंचे थे, लेकिन कोरोना की वजह से टूरिज्म इंडस्ट्री बेपटरी हो गई. हजारों की संख्या में लोगों की नौकरी चली गई है.