जबरन 40 छात्रों के उतरवाए कपड़े, BHU में डिजिटल रैगिंग का बड़ा खुलासा

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नेशनल डेस्क। वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS) के 28 सीनियर MBBS छात्रों को डिजिटल रैगिंग का दोषी पाया गया है। यह विश्वविद्यालय में डिजिटल माध्यम से हुई रैगिंग का पहला मामला है, जिसकी तीन महीने तक जांच की गई।

क्या है मामला?

जांच में पाया गया कि सीनियर छात्रों ने टेलीग्राम एप पर 'एंटी-रैगिंग स्क्वॉड' के चेयरमैन के नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाकर तीन से चार अलग-अलग ग्रुप बनाए। फिर उन्होंने वीडियो कॉल के ज़रिए जूनियर छात्रों के साथ रैगिंग की। वीडियो काॅल में 40 से अधिक छात्रों को कपड़ें उतारने के लिए मजबूर किया जाता था।

इन वीडियो कॉल्स में जूनियर छात्रों को टास्क दिया जाता था जैसे कि, एक-दूसरे को थप्पड़ मारने को कहा जाता था, कूलर में पानी भरवाया जाता था, कपड़े धुलवाए जाता थे, डांस करवाया जाता था और कुछ छात्रों को हॉस्टल के कमरे में बुलाकर अनैतिक कार्य भी करवाए जाता थे। 

कैसे बचने की कोशिश की गई?

सीनियर छात्रों ने हर ग्रुप में 10-10 जूनियरों को रखा, ताकि कोई एक्शन होने पर पूरा मामला सामने न आ सके। उन्होंने डर फैलाने के लिए कक्षा से बाहर निकालने की धमकी भी दी। यह पूरा सिलसिला करीब तीन से चार महीनों तक चलता रहा, जब तक कि कुछ छात्रों ने विरोध जताते हुए शिकायत नहीं कर दी।

जांच और कार्रवाई

तीन महीने चली जांच में 28 सीनियर छात्र दोषी पाए गए। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने:

हर छात्र पर ₹25,000 का जुर्माना लगाया
हॉस्टल से निलंबित कर दिया
अभिभावकों को जुलाई के दूसरे सप्ताह में तलब किया
BHU प्रशासन ने साफ किया कि रैगिंग के किसी भी रूप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह शारीरिक हो या डिजिटल।

यूजीसी और कानून क्या कहते हैं?

हालांकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और रैगिंग निषेध अधिनियम के तहत रैगिंग एक दंडनीय अपराध है, फिर भी छात्र इससे बाज नहीं आ रहे। यह मामला दिखाता है कि डिजिटल माध्यम भी अब रैगिंग का नया ज़रिया बनते जा रहे हैं।

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