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शिमला, 07 मई। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए छोटे साइज की प्लास्टिक पानी की बोतलों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है। सुक्खू सरकार ने राज्य में इस साल 1 जून से पानी की सिंगल यूज प्लास्टिक की बोतलों पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।
प्लास्टिक की बोतलों पर पूरी तरह से पाबंदी
आपको बता दें कि पहले चरण में यह पाबंदी आधे लीटर या इससे कम की पानी की बोतलों पर लगाई जाएगी। ऐसी बोतलों की रिसायक्लिंग में आने वाली परेशानियों को देखते हुए साफ पर्यावरण की दिशा में यह कदम उठाया गया है।
कांच की बोतलें इस्तेमाल करने को कहा
हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इन बोतलों पर पाबंदी लगने के बाद अब लोगों को कांच की बोतलों या वॉटर डिस्पेंसर का उपयोग करना होगा।
सरकारी विभाग करेंगे जागरूक
हिमाचल सरकार ने पानी की इन बोतलों पर पाबंदी लगाने की समयसीमा 1 जून इसलिए तय की है, ताकि बाजार में मौजूद आधे लीटर की बोतलों का स्टॉक खत्म किया जा सके। पर्यावरण, विज्ञान प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग, पर्यटन विभाग, शिक्षा विभाग, शहरी विकास विभाग और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत सभी सरकारी संगठनों को प्लास्टिक की छोटी बोतलों के इस्तेमाल के खिलाफ लोगों में जागरुकता पैदा करने को कहा गया है।
क्यों लिया गया ये फैसला?
मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि एक जून 2025 से राज्य में सरकारी आयोजनों, सम्मेलनों और होटलों में 500 मिलीलीटर तक की पॉलीथिन टेरेफ्थैलेट (पीईटी) बोतलों के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाएगी। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। इस प्रतिबंध के दायरे में न केवल सरकारी विभाग आएंगे, बल्कि बोर्ड, निगम, पर्यटन निगम के होटल और निजी होटल भी शामिल रहेंगे।
पकड़े गए तो होगा भारी जुर्माना
सरकारी एजेंसियां इन बोतलों को रिसायकल करने और बाजार में इनके उपयोग पर पुख्ता निगरानी रखने की भी व्यवस्था करेंगी। सार्वजनिक स्थानों, शादी-ब्याह, सरकारी समारोह और टूरिज्म विभाग के होटलों में भी पानी की छोटी बोतलों का इस्तेमाल प्रतिबंधित रहेगा। नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कितना देना पड़ेगा जुर्माना?
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि प्रतिबंध लागू होने के बाद यदि कोई संस्था या व्यक्ति इसका उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जुर्माने की राशि 500 रुपये से शुरू होकर 25,000 रुपये तक हो सकती है।
उन्होंने बताया कि इसके स्थान पर आयोजनों में कांच की बोतलें, स्टील के कंटेनर, जल डिस्पेंसर या वॉटर कियोस्क जैसे पर्यावरण के अनुकूल विकल्प अपनाए जाएंगे। इसके साथ ही पर्यावरण विज्ञान, शहरी विकास, पर्यटन, शिक्षा विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस विषय पर आम लोगों में जागरूकता फैलाएं और पीईटी बोतलों की रीसाइक्लिंग को भी बढ़ावा दें।