हिमाचल में पंजाब से आ रही चिट्टे की सप्लाई - CM सुक्खू ने बताया पाकिस्तान कनेक्शन

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राज्य में नशे के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से पंजाब के फिरोजपुर के रास्ते मादक पदार्थ हिमाचल तक पहुंच रहे हैं, जिसे रोकने के लिए कड़े कानूनी प्रावधान किए जा रहे हैं। संगठित अपराध के मामलों में मृत्युदंड का भी प्रावधान किया जा रहा है, ताकि नशे की तस्करी पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।

नशा तस्करों और सहयोगियों पर सख्त कार्रवाई

मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि नशे के कारोबार में संलिप्त सरकारी अधिकारी या कर्मचारी पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में सूचना लीक करने वाले भी सामने आए हैं, जिन पर भी कड़ी कार्रवाई होगी।

पुलिस, सीआईडी और अन्य खुफिया एजेंसियां लगातार इस गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं। पंचायत स्तर पर भी नशे के सप्लायरों की पहचान और मैपिंग की जा रही है, ताकि जड़ से इस समस्या को खत्म किया जा सके।

नशे के खिलाफ सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति

सीएम सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि सरकार नशे के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाएगी। उन्होंने दावा किया कि कड़े फैसलों के कारण नशे के कारोबार में अब तक 30 प्रतिशत की कमी आई है।

इस विषय पर चर्चा के दौरान उन्होंने बताया कि सराज क्षेत्र में एक मामला सामने आया था, जिसमें नशे की पुड़िया को मिट्टी में मिला दिया गया था। इस मामले में एक प्रभावशाली व्यक्ति का हस्तक्षेप होने की कोशिश हुई थी, लेकिन सरकार ने बिना किसी दबाव के कार्रवाई की।

नशा पीड़ितों के पुनर्वास की पहल

मुख्यमंत्री ने बताया कि हिमाचल में पहली बार कोटला बेहड़ा क्षेत्र में 150 बीघा जमीन पर नशामुक्ति केंद्र स्थापित किया जा रहा है, जहां नशे के शिकार युवाओं का इलाज किया जाएगा। इसके अलावा, इस दिशा में और भी प्रभावी कदम उठाने के लिए एक टीम को बेंगलुरु भेजा गया है, जहां इस समस्या से निपटने के आधुनिक तरीके अपनाए गए हैं।

खेल और जागरूकता अभियान की जरूरत

विधायक रणजीत सिंह राणा और संजय रतन ने भी इस चर्चा में भाग लिया। उन्होंने सुझाव दिया कि खेल गतिविधियों को बढ़ावा देकर और व्यापक जागरूकता अभियान चलाकर युवाओं को नशे से दूर किया जा सकता है। उनका मानना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में नशे की रोकथाम पर विशेष ध्यान देने से राज्य में नशे के खतरे को कम किया जा सकता है।

बहरहाल, हिमाचल प्रदेश सरकार ने नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का ऐलान कर दिया है। सख्त कानूनों से लेकर पुनर्वास केंद्रों तक, सरकार हर संभव प्रयास कर रही है ताकि युवाओं को इस जाल से बचाया जा सके। अब देखने वाली बात होगी कि इन उपायों का जमीन पर कितना असर पड़ता है और राज्य नशामुक्ति की दिशा में कितनी सफलता प्राप्त करता है।

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