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हिमाचल प्रदेश में निजी बस ऑपरेटर और सरकार के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के विधानसभा में दिए उस बयान ने आग में घी डालने का काम किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि रविवार को बसें नहीं चलाने वालों के रूट परमिट रद्द कर दिए जाएंगे। इस बयान से नाराज निजी बस ऑपरेटरों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और बसें खड़ी करने की चेतावनी दी है। ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज कर रही है, जिसके चलते अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया गया है।
उपमुख्यमंत्री का बयान बना विवाद की वजह
बुधवार, 26 मार्च 2025 को हिमाचल विधानसभा में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने साफ कहा कि जो निजी बस ऑपरेटर रविवार को अपनी बसें नहीं चलाएंगे, उनके रूट परमिट रद्द करने में सरकार को कोई हिचक नहीं होगी। यह बयान नगरोटा बगवां से कांग्रेस विधायक आरएस बाली द्वारा चंगर क्षेत्र में रविवार को बस सेवाएं बंद होने का मुद्दा उठाने के बाद आया। अग्निहोत्री ने कहा कि ऐसी शिकायतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी और दोषी ऑपरेटरों पर सख्त कार्रवाई होगी। लेकिन इस बयान ने निजी बस ऑपरेटरों को सरकार के खिलाफ लामबंद कर दिया।
निजी बस ऑपरेटरों का गुस्सा: “हमें निशाना बनाया जा रहा”
हिमाचल प्रदेश निजी बस ऑपरेटर यूनियन के महासचिव रमेश कमल ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया। उनका कहना है कि टैक्स जमा न करने पर निजी बसों को जब्त किया जा रहा है, जबकि हिमाचल रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (एचआरटीसी) की बसों पर ऐसी कोई कार्रवाई नहीं होती। “सरकार ने वर्किंग कैपिटल पर सब्सिडी देने का वादा किया था, लेकिन आज तक एक पैसा नहीं मिला। डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं, फिर भी हमें नुकसान उठाकर बसें चलाने को मजबूर किया जा रहा है,” रमेश कमल ने कहा। ऑपरेटरों का यह भी आरोप है कि एचआरटीसी को प्राथमिकता दी जा रही है, जबकि निजी ऑपरेटरों की अनदेखी हो रही है।
बसें खड़ी करने की चेतावनी: यात्रियों पर पड़ेगा असर
निजी बस ऑपरेटरों ने साफ कर दिया है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वे जल्द ही तारीख तय कर बस सेवाएं पूरी तरह बंद कर देंगे। यूनियन ने कहा कि सरकार को अपनी नीतियां बदलनी होंगी, वरना प्रदेश भर में निजी बसें सड़कों से गायब हो जाएंगी। इससे पहाड़ी इलाकों में सफर करने वाले हजारों यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है, खासकर वे जो रोजगार और पढ़ाई के लिए इन बसों पर निर्भर हैं। एक ऑपरेटर ने भावुक होकर कहा, “हम भी परिवार चलाते हैं, लेकिन सरकार हमें मजबूर कर रही है कि हम सड़क पर उतरें।”
सरकार और ऑपरेटरों के बीच तकरार का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब निजी बस ऑपरेटरों और सरकार के बीच तनाव देखने को मिला है। पहले भी किराया बढ़ोतरी, टैक्स छूट और सब्सिडी जैसे मुद्दों पर ऑपरेटर हड़ताल कर चुके हैं। 2018 में निजी बस ऑपरेटरों ने ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ बसें खड़ी की थीं, जिससे शिमला और अन्य शहरों में अफरा-तफरी मच गई थी। इस बार भी ऑपरेटरों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी, तो वे बड़े आंदोलन के लिए तैयार हैं।
यात्रियों की चिंता: “हमें बीच में न फंसाएं”
इस विवाद का सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों को उठाना पड़ सकता है। शिमला के एक छात्र रोहित ने कहा, “निजी बसें बंद हुईं तो हमें कॉलेज जाने के लिए कोई सस्ता साधन नहीं बचेगा। सरकार और ऑपरेटरों को आपस में बात कर हल निकालना चाहिए, हमें बीच में न फंसाएं।” ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग भी चिंतित हैं, क्योंकि एचआरटीसी की बसें हर जगह उपलब्ध नहीं होतीं।
आगे क्या होगा?
निजी बस ऑपरेटरों ने अभी हड़ताल की तारीख तय नहीं की है, लेकिन उनका कहना है कि यह फैसला जल्द लिया जाएगा। दूसरी ओर, सरकार ने भी सख्त रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या दोनों पक्ष बातचीत की मेज पर आएंगे या यह विवाद सड़कों पर हंगामे में बदल जाएगा। फिलहाल, हिमाचल में परिवहन सेवाओं का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में फंसा नजर आ रहा है।