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शिमला। हिमाचल प्रदेश में चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। पुलिस की जांच में परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों को सही पाया गया है, जिससे पावर कॉरपोरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
CCTV फुटेज, बॉयोमीट्रिक बने अहम सबूत
सूत्रों के अनुसार, पुलिस जांच में सामने आया है कि विमल नेगी अत्यधिक मानसिक तनाव में थे। पावर कॉरपोरेशन के कार्यालय के CCTV फुटेज और बॉयोमीट्रिक रिकॉर्ड से यह पुष्टि हुई है कि वह देर रात तक ऑफिस में मौजूद थे। पुलिस इस रिकॉर्ड को महत्वपूर्ण साक्ष्य मान रही है, जो मामले की जांच को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रताड़ना के आरोप
विमल नेगी के परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन के एमडी हरिकेश मीणा, डायरेक्टर (पर्सनल) शिवम प्रताप और डायरेक्टर (इलेक्ट्रिकल) देसराज पर मानसिक प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इन अधिकारियों के दबाव के कारण ही विमल नेगी ने यह आत्मघाती कदम उठाया।
वहीं, पुलिस को विमल नेगी के निजी सहायक (PA) राजीव ठाकुर का बयान भी मिला है, जिसमें उन्होंने बताया कि विमल नेगी पर पेखुवाला प्रोजेक्ट को लेकर भारी दबाव था। उनके वरिष्ठ अधिकारी लगातार उन पर काम का दबाव बना रहे थे, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान थे।
अग्रिम जमानत पर टिकी निगाहें
डायरेक्टर (इलेक्ट्रिकल) देसराज ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की है, लेकिन अभी तक उन्हें राहत नहीं मिली है। अदालत में पिछली सुनवाई के दौरान पुलिस ने स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी थी। हाईकोर्ट इस मामले में जल्द ही फैसला सुना सकता है।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डूबने से मौत की पुष्टि
गौरतलब है कि विमल नेगी 10 मार्च को शिमला से बिलासपुर गए थे और 18 मार्च को उनका शव गोविंदसागर झील में मिला। एम्स बिलासपुर में हुए पोस्टमॉर्टम के अनुसार, उनकी मृत्यु 14 मार्च को डूबने से हुई थी। इस घटना के बाद परिजनों ने पावर कॉरपोरेशन कार्यालय के बाहर छह घंटे तक प्रदर्शन किया, जिसके बाद सरकार ने डायरेक्टर देसराज को निलंबित कर दिया।
पुलिस कार्रवाई और संभावित गिरफ्तारियां
परिजनों की शिकायत पर न्यू शिमला थाना में एमडी हरिकेश मीणा, डायरेक्टर (पर्सनल) शिवम प्रताप और डायरेक्टर (इलेक्ट्रिकल) देसराज के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। सूत्रों के मुताबिक, देसराज 23 मार्च से फरार हैं। यदि हाईकोर्ट से उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज होती है, तो पुलिस उनकी गिरफ्तारी कर सकती है। उधर, कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पुलिस को एमडी और डायरेक्टर (पर्सनल) के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
बीजेपी CBI जांच की मांग पर अड़ी
इस पूरे मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। बीजेपी ने विधानसभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है और मामले की सीबीआई जांच की मांग की है। पार्टी का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है, ताकि दोषियों को सजा मिल सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।