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कांगड़ा। हिमाचल पथ परिवहन निगम (HRTC) की ड्राइवर यूनियन और कंडक्टर यूनियन ने धर्मशाला में गेट मीटिंग कर प्रदेश सरकार को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है। यूनियन ने साफ कर दिया है कि यदि 6 मार्च तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे हड़ताल पर जाने और चक्का जाम करने से पीछे नहीं हटेंगे। यूनियन नेताओं ने सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि यदि इस दौरान परिवहन सेवाएं प्रभावित होती हैं, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
यूनियन ने दी आंदोलन की चेतावनी
गेट मीटिंग की अध्यक्षता हिमाचल पथ परिवहन निगम ड्राइवर यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष और कंडक्टर यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष ने की। दोनों नेताओं ने दो टूक कहा कि वे अपनी मांगों को मनवाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं और अब वे सरकार के आश्वासनों पर भरोसा करने के बजाय ठोस कार्रवाई चाहते हैं।
यूनियनों की प्रमुख मांगें
यूनियनों ने अपनी कई लंबित मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को 6 मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है। उनकी मांगें इस प्रकार हैं:
- 65 महीनों का लंबित रात्रि एवं अतिरिक्त भत्ता एकमुश्त भुगतान किया जाए।
- 50,000 रुपये एरियर की किश्त तत्काल जारी की जाए।
- DA और 04.09.2014 से संबंधित सभी एरियर का जल्द से जल्द भुगतान किया जाए।
- चालकों को सीनियर ड्राइवर का दर्जा दिया जाए।
- रुकी हुई पदोन्नति प्रक्रिया को दोबारा शुरू किया जाए।
- चालकों की भर्ती प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाए ताकि स्टाफ की कमी दूर हो सके।
- पेंशनरों और कर्मचारियों को वेतन एवं पेंशन हर महीने की पहली तारीख को जारी करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
- HRTC की कर्मशालाओं में कलपुर्जों की कमी को दूर किया जाए, ताकि बसों की मरम्मत सुचारू रूप से हो सके।
- अनुबंध कर्मियों को नियमित किया जाए और पीस मील कर्मियों को अनुबंध के दायरे में लाया जाए।
पहले भी दी गई थी चेतावनी
यूनियन नेताओं ने बताया कि इन मांगों को लेकर वे पहले भी सरकार को कई बार अवगत करा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। ऐसे में वे अब और इंतजार नहीं कर सकते। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि 6 मार्च तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे काम छोड़ देंगे और चक्का जाम आंदोलन करेंगे।
आम जनता पर असर पड़ सकता है
यदि यूनियन की चेतावनी के अनुसार एचआरटीसी कर्मचारी हड़ताल पर चले जाते हैं, तो इसका सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश के कई ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में एचआरटीसी ही एकमात्र परिवहन सेवा है। ऐसे में बस सेवा बाधित होने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
सरकार के लिए चुनौती
सरकार के सामने अब यह बड़ी चुनौती होगी कि वह यूनियनों की मांगों को किस हद तक पूरा कर पाती है। यदि कोई ठोस समाधान नहीं निकला, तो एचआरटीसी कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश में यातायात व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। अब देखना यह होगा कि 6 मार्च से पहले सरकार क्या निर्णय लेती है।