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बिलासपुर। एम्स बिलासपुर में तैनात सुरक्षा कर्मचारियों ने एक मेडिकल स्टोर के कर्मचारी द्वारा फर्जी पर्चे बनाने का भंडाफोड़ किया है। कर्मचारी अपने चहेतों के लिए फर्जी पर्चे बनाता था, ताकि व्यक्ति लाइन में लगने से बच सके और जल्दी डॉक्टर को दिखा सके। बताया जा रहा है कि एम्स में यह धंधा काफी समय से चल रहा था। इससे एम्स प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार एक फरवरी को काउंटर पर सुरक्षा कर्मियों ने एक फर्जी पर्चे को पकड़ा था, जिसके बाद सुरक्षा कर्मियों को यहां फर्जी पर्चे बनने की आशंका नजर आई। इस पर सुरक्षा प्रभारी लेफ्टिनेंट कर्नल भूपेंद्र यादव ने सभी सुरक्षा कर्मियों को सतर्क रहने के निर्देश दिए।
बताया जा रहा है कि 3 फरवरी को एम्स में संबंधित मेडिकल स्टोर के कर्मचारी ने फिर फर्जी पर्चे बनाकर देने की कोशिश की, लेकिन उस दिन एम्स का सर्वर डाउन था, जिस पर एम्स प्रशासन ने पर्चे की कोडिंग शुरू की और जालसाज पर्चे पर कोडिंग नहीं कर पाया, जिसके चलते जालसाज सुरक्षा कर्मियों के हत्थे चढ़ गया। सुरक्षा कर्मियों ने आरोपी के पास से 19 फर्जी पर्चे बरामद किए।
जानकारी के अनुसार आरोपी ने अपने कंप्यूटर में एम्स के पर्चे जैसा ही एक प्रारूप तैयार कर रखा था, जिसे वह एम्स में देता था, ताकि संबंधित मरीज उसके मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीद सके। सदर थाना पुलिस ने सुरक्षा प्रभारी भूपेंद्र यादव निवासी तिलक नगर जिला बिजनेर राजस्थान की शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज किया है। पूछताछ में आरोपी ने पर्चे खुद बनाने की बात कबूल की। आरोपी ने इसके लिए माफी भी मांगी।
इसके बाद 5 फरवरी को संबंधित मेडिकल स्टोर का संचालक भी उसके कार्यालय में आया और उसने माना कि मनीष उसके मेडिकल स्टोर में काम करता है। मामला दर्ज करने के बाद सदर थाना पुलिस ने आरोपी का कंप्यूटर जब्त कर लिया है और संबंधित पर्चियों को भी अपने कब्जे में लेकर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी है, वहीं एम्स प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने का निर्णय लिया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटना न हो।
एम्स बिलासपुर के रजिस्ट्रार राकेश सिंह ने बताया कि पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई है और पर्चियों में कोडिंग की जा रही है। पर्ची सिस्टम को लेकर साइबर सुरक्षा और अन्य उपाय किए गए हैं। एएसपी बिलासपुर शिव चौधरी ने बताया कि पर्चियों को कंप्यूटर सहित कब्जे में ले लिया गया है और मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि फर्जी पर्चियां कब से बनाई जा रही थीं।