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हिमाचल: मरीजों की बढ़ेगी टेंशन - IGMC के 151 डॉक्टर्स छुट्टी पर, एक महीने बाद होगी वापसी

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शिमला। हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान, IGMC शिमला और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाना के कुल 189 डॉक्टरों ने दिसंबर से एक महीने की छुट्टी पर जाने का निर्णय लिया है। इसका सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा, क्योंकि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी के चलते इलाज में देरी हो सकती है।

कौन से डॉक्टर छुट्टी पर जा रहे हैं?

IGMC शिमला के 151 डॉक्टर और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाना के 36 डॉक्टर 26 दिसंबर से छुट्टी पर जा रहे हैं। डॉक्टरों का अवकाश दो बैचों में बंटा है। पहला बैच 26 दिसंबर से छुट्टी पर जाएगा, जबकि दूसरा बैच 31 जनवरी से छुट्टी पर जाएगा। इस दौरान अस्पताल का केवल 50% स्टाफ ही ड्यूटी पर रहेगा, जिससे अस्पतालों की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है।

MS डॉ. राहुल राव ने दी जानकारी

IGMC के वरिष्ठ MS डॉ. राहुल राव ने बताया कि पहले बैच में 24 विभागों के डॉक्टर छुट्टी पर रहेंगे। इसी तरह, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के वरिष्ठ डॉ. सुधीर शर्मा ने बताया कि उनके अस्पताल में पहले बैच में 15 विभागों के 36 डॉक्टर 31 दिन की छुट्टी पर जाएंगे।

डॉक्टरों को मिलती है लंबी छुट्टी

हर साल विंटर वेकेशन के दौरान अस्पताल के डॉक्टरों को छुट्टी मिलती है। IGMC और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के फैकल्टी मेंबर्स को 31 दिन की छुट्टी मिलती है, जबकि रेजिडेंट डॉक्टरों को 30 दिन की छुट्टी मिलती है। यह छुट्टियां अस्पताल प्रशासन द्वारा पहले ही निर्धारित की जाती हैं, और इस बार भी उनका शेड्यूल जारी कर दिया गया है।

मरीजों को होगी परेशानी

IGMC शिमला में रोजाना 3200 से 3500 मरीजों की OPD होती है। IGMC केवल शिमला जिले के नहीं, बल्कि पूरे राज्य के अस्पतालों से रेफर मरीजों का इलाज करता है। ऐसे में, जब एक साथ 189 डॉक्टर छुट्टी पर होंगे, तो मरीजों को उपचार में देरी का सामना करना पड़ सकता है। विशेष रूप से विशेषज्ञ डॉक्टरों की छुट्टी के कारण गंभीर रोगियों को समय पर इलाज मिलने में मुश्किल हो सकती है।

प्रदेश के लोग चिंतित

IGMC और सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल चमियाना में डॉक्टरों की बड़ी संख्या में छुट्टियां एक अहम समस्या पैदा कर सकती है। ऐसे में, मरीजों को इंतजार करना पड़ेगा और अस्पतालों के स्टाफ पर अतिरिक्त दबाव होगा। प्रशासन को इस स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक उपायों की योजना बनानी होगी, ताकि मरीजों को अच्छे उपचार का अनुभव मिल सके।

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