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शिमला। हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड में अब उच्च पदों पर युक्तिकरण होगा। जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की नियुक्तियां की जाएंगी। बुधवार को सचिवालय में तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया। पड़ोसी राज्यों से भी अधिक प्रदेश की सप्लाई कॉस्ट को भी कम करने के लिए योजना बनाने पर सहमति बनी। कमेटी ने विभिन्न कर्मचारी यूनियनों से भी चर्चा की। अगली बैठक में कैबिनेट को सौंपने के लिए रिपोर्ट तैयार हो सकती है।
बोर्ड को आर्थिक तौर पर मजबूती के लिए मंत्री धर्माणी की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी बनाई गई है। बुधवार को मीडिया से मंत्री धर्माणी ने कहा कि बोर्ड के 261 अफसर पावर कारपोरेशन व ट्रांसमिशन कारपोरेशन में सेवाएं दे रहे हैं। इन पदों की पदोन्नितयां बिना पद सृजित कर दी गईं। इसका असर फील्ड स्टाफ पर पड़ा। इसे चलाए रखने के लिए मेंटनेंस गैंग और आउटसोर्स पर भर्तियां करनी पड़ीं। काॅस्ट कटिंग के लिए फील्ड स्टाफ पर कट लगा। अब उच्च पदों पर युक्तिकरण का फैसला लिया गया है। विद्युत विनियामक आयोग ने बोर्ड को वित्तीय स्थिति में सुधार, कर्मचारी लागत कम करने के निर्देश दिए हैं।
आयोग विद्युत क्षेत्र में सुधार और विद्युत दरें निर्धारित करता है। वर्तमान में बिजली की खरीद लागत 3.50 रुपये प्रति यूनिट है, जबकि आपूर्ति की वास्तविक लागत 6.79 रुपये प्रति यूनिट हैै। देश में सबसे कम खरीद लागत के बावजूद उच्च कर्मी लागत के कारण उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली नहीं मिलती। जो सुधार के कदम उठाए जा रहे हैं, उनका असर पांच-छह वर्ष बाद दिखेगा। पूर्व सरकार की नीतियों के चलते बोर्ड में 11,500 पद रिक्त हैं।
संयुक्त मोर्चा ने पांच मांगें रखीं : बैठक में इंजीनियरों और कर्मचारियों के संयुक्त मोर्चा ने पांच मांगें रखीं। मोर्चा के अध्यक्ष लोकेश ठाकुर और महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि 51 समाप्त किए पद बहाल करें। निकाले आउटसोर्स चालकों की सेवाएं निरंतर करें। 1,030 टीमेट के पदों पर भर्ती जल्द हो। पुरानी पेंशन लागू हो। कर्मचारियों, अभियंताओं व सरकार के बीच वर्ष 2010 में हुए समझौते का पालन हो। बोर्ड से कोई भी संचार लाइन व उपकेंद्र तथा अन्य संपत्तियां इससे अलग न किया जाए।