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जम्मू। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शपथ दिलाई। अब्दुल्ला के जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण समारोह के मद्देनजर श्रीनगर में एसकेआईसीसी और उसके आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री दोपहर करीब 3 बजे सिविल सचिवालय में सभी प्रशासनिक सचिवों की बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
शपथ लेने वाले मंत्रियों में सकीना इटू, जावेद अहमद राणा, सुरिंदर चौधरी, जावेद अहमद डार और सतीश शर्मा शामिल हैं। पांच मंत्रियों में से दो कश्मीर से और तीन जम्मू से हैं। उमर अब्दुल्ला के इस कदम को जम्मू-कश्मीर के दो क्षेत्रों के बीच संतुलन के तौर पर देखा जा रहा है। इटू और डार दोनों ही पूर्व मंत्री रह चुके हैं। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, आप नेता संजय सिंह, सीपीआई नेता डी राजा और इंडिया अलायंस के अन्य नेता मौजूद थे।
आज किसी कांग्रेस नेता ने शपथ नहीं ली। सूत्रों ने बताया कि विधानसभा चुनाव साथ लड़ने वाली कांग्रेस मंत्रिपरिषद में दो मंत्रालय मांग रही थी, लेकिन संख्या कम होने के कारण उन्हें एक ही मंत्रालय दिया गया। इसलिए पार्टी नेतृत्व ने सरकार का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है। हालांकि वह सरकार का समर्थन करेगी।
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी फिलहाल जम्मू-कश्मीर सरकार में मंत्रालय में शामिल नहीं हो रही है। कांग्रेस ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कई बार रैलियों में इसका वादा भी किया था। लेकिन जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि हम केंद्र सरकार के इस कदम से नाखुश हैं, इसलिए फिलहाल मंत्रालय में शामिल नहीं हो रहे हैं। जेकेपीसीसी प्रमुख ने कहा कि कांग्रेस पार्टी राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए लड़ाई जारी रखेगी।