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बिलासपुर। पर्यावरण बचाने के लिए सोनम वांगचुक समेत 150 पदयात्री लेह से दिल्ली के लिए पैदल निकले थे। 01 सितंबर से यह पैदल यात्रा शुरू हुई थी और 2 अक्टूबर को पदयात्रा दिल्ली में राजघाट पहुंचने पर समाप्त होनी थी। करीब 1000 किलोमीटर पैदल चलकर यात्रियों को दिल्ली पहुंचना था। सोनम वांगचुक समेत लगभग 150 पदयात्री पर्यावरण बचाने और लद्दाख को छठवें शेड्यूल में लाने की मांग को लेकर लेह से दिल्ली के लिए पैदल रवाना हुए थे। भारी संख्या में लोगों का समर्थन इस यात्रा को मिल रहा था।
यात्रा करते हुए दिल्ली पहुंचे थे दो हिमाचली
जानकारी के अनुसार, लेह से दिल्ली पदयात्रा में दो हिमाचली भी शामिल थे दोनों बिलासपुर जिले के रहने वाले है। यह यात्री भी पैदल दिल्ली पहुंचे थे। जिसमें बिलासपुर से अधिवक्ता रजनीश शर्मा और अनिल कुमार शामिल थे।
आखिर 30 सितंबर को सिंधु बॉर्डर पर क्या हुआ
आपको बता दें लेह से दिल्ली शांतिपूर्ण यात्रा हिमाचल प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से निकली किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई। हिमाचल प्रदेश में लोगों ने यात्रा को भारी संख्या में समर्थन किया वैसे ही पंजाब के लोगों ने भी यात्रा को समर्थन किया। हरियाणा में चुनावों के चलते पदयात्रा नहीं करने का फैंसला लिया गया था। पंजाब बॉर्डर और हरियाणा बॉर्डर से बसों में पदयात्री दिल्ली के लिए रवाना हुए जैसे ही पदयात्रियों की बसें सिंधु बॉर्डर के पास पहुंची तो दिल्ली पुलिस ने लगभग 1000 जवानों को सिंधु बॉर्डर पर तैनात कर दिया था। उसके बाद पदयात्रियों को गैरकानूनी तरीके से रोककर गिरफ्तार कर लिया गया। दिल्ली पुलिस ने सिंधु बॉर्डर से हिरासत में ले लिया और सभी को अलग अलग थाने में ले जाया गया। पदयात्रियों को कंझावला, बवाना, और नरेला थाने में नजरबंद कर दिया गया जिसमें लगभग 35 महिलाएं भी शामिल थी।
हिरासत से पहले किया था बैकअप प्लान तैयार
जानकारी के अनुसार, लेह से दिल्ली पदयात्रा में शामिल दोनों हिमाचलियों ने हिरासत में जाने से पहले बैकअप प्लान तैयार किया था। रजनीश शर्मा ने अगले ही दिन दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी। जिसके बाद दिल्ली पुलिस को धारा 163 हटाने और पदयात्रियों को हिरासत से छोड़ने के निर्देश दिए थे।