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शिमला। सचिवालय सेवाएं कर्मचारी महासंघ के निशाने पर चल रहे तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि वेतन और भत्तों की कटौती के लिए मैं तैयार हूं, कर्मचारी भी आगे आएं। प्रदेश को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए अन्य लोगों को इस भी बाबत आगे आना होगा।
शनिवार को राज्य सचिवालय में मीडिया से बातचीत में धर्माणी ने कहा कि सचिवालय महासंघ के नेता गुंडे मवाली जैसी भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को कोई मांगपत्र सौंपा नहीं और अब आंदोलन करने लगे हैं।
बातचीत के दरवाजे खुले हैं, अभद्र भाषा संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ’
उन्होंने कहा कि मैं मंत्री बनने लायक हूं या नहीं, इसका सर्टिफिकेट महासंघ के अध्यक्ष को देने की जरूरत नहीं है। बातचीत के लिए सरकार के दरवाजे हमेशा खुले हैं। अभद्र भाषा और अनुचित व्यवहार सांविधानिक व्यवस्था के खिलाफ है। कहा कि हिमाचल का बजट 58 हजार करोड़ रुपये का है। कुल बजट का 45 प्रतिशत हिस्सा वेतन व पेंशन पर खर्च होता है। 2300 करोड़ रुपये सैलरी व पैंशन पर लगता है। जबकि मंत्रियों और विधायकों पर 25 करोड़ खर्च होता है। विधायकों व मंत्रियों को टारगेट किया जा रहा है।
निजी हित के लिए राजनीति कर रहे हैं सचिवालय के कर्मचारी
उन्होंने कहा कि सचिवालय के कर्मचारी नेता निजी हित के लिए राजनीति कर रहे हैं। कर्मचारी नेताओं के व्यवहार के पीछे उकसाने वाली ताकतें हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने केवल वित्तीय स्थिति खराब होने की स्थिति में कर्मचारियों पर भी इसका असर पड़ने की बात कही थी। धर्माणी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री रहते बिंदल ने ऐसे कारनामे किए कि सरकार को उनको मंत्री पद से हटाना पड़ा। मुख्य सचिव से लेकर चपरासी तक सभी कर्मचारी सरकार का अभिन्न अंग है। प्रदेश सरकार कर्मचारियों की हितैषी है।