केंद्र सरकार की नई शर्त, वाटर सेस लगाने वाले राज्यों को नहीं मिलेगी प्राथमिकता

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अपने संसाधन बढ़ाने के लिए विद्युत उत्पादन के लिए इस्तेमाल हो रहे राज्य की नदियों के पानी पर सेस लगाने का फैसला केंद्र सरकार को भी खटका है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने पहले बजट सत्र में इस बारे में कानून बनाया था। ठीक इसके बाद भारत सरकार ने एक पत्र सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जारी किया है। 

इस पत्र में कहा गया है कि बिजली देने के लिए अब केंद्र सरकार राज्यों का ऑर्डर ऑफ मेरिट बनाएगी। उन राज्यों को इस अलॉटमेंट में मेरिट में पहले स्थान दिया जाएगा, जो अपने यहां बिजली और पानी से संबंधित मामलों में कोई टैक्स, ड्यूटी या सेस नहीं लगाएंगे। यह पत्र राज्य के ऊर्जा विभाग को भी मिल गया है। भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अवर सचिव की ओर से यह चिट्ठी भेजी गई है।

केंद्र सरकार अनएलोकेटेड कोटा से राज्यों को कुछ बिजली देती है। हिमाचल बेशक पावर सरप्लस हो, लेकिन सर्दियों में और गर्मियों के पीक आवर्स में राज्य को भी अतिरिक्त बिजली की जरूरत पड़ती है। यही जरूरत अन्य राज्यों को भी रहती है। केंद्र सरकार के नए फैसले के बाद इस सूरत में यदि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल एक साथ बिजली मांगेंगे, तो हिमाचल से पहले पंजाब और हरियाणा को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे पहले केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने इसी महीने दिल्ली में हुई एक बैठक में भी बिना हिमाचल का नाम लिए वाटर सेस को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद से यह अटकलें भी तेज हैं कि वाटर सेस लगाने के हिमाचल के फैसले को केंद्र ने खारिज कर दिया है, लेकिन इस बारे में कोई आधिकारिक पत्र अभी तक मुख्य सचिव या जल शक्ति एवं ऊर्जा सचिवों को नहीं मिला है। 

दूसरी तरफ राज्य सरकार ने वाटर सेस लगाने के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है और इसके लिए जल शक्ति सचिव को ही कमिश्नर घोषित किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पड़ोसी राज्यों के विरोध के बाद उनकी गलतफहमी दूर करने में जुटे हैं। सीएम पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात कर चुके हैं और अब हरियाणा के मुख्यमंत्री से भी बात कर रहे हैं। ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगी।

नई शर्त : मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना कहते हैं कि वाटर सेस लगाने के फैसले पर रोक लगाने से संबंधित कोई पत्र अभी भारत सरकार से नहीं मिला है। हिमाचल से पूर्व जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड यह फैसला ले चुके हैं, तो भारत सरकार को उनके बारे में भी पहले सोचना होगा। दूसरी ओर ऊर्जा सचिव राजीव शर्मा ने बताया कि बिजली देने के लिए केंद्र की ओर से लगाई गई नई शर्त का ज्यादा असर नहीं होगा। पावर परचेज के लिए हिमाचल के पास पहले से एलॉटेड कोटा होता है, इसलिए नई शर्त ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाएगी।

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