बिलासपुर, 09 अप्रैल - कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने पर हाईकोर्ट ने पंकज शर्मा पर एक लाख का जुर्माना लगाया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने तर्कहीन याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वच्छ मन, साफ दिल और साफ उद्देश्य की जरूरत होती है। यदि आवेदक झूठे बयान या तथ्यों के आधार पर अदालत को गुमराह करने का प्रयास करता है तो न्यायालय अकेले इसी आधार पर आवेदन को खारिज कर सकता है।
अदालत ने कहा कि कोर्ट की कार्यवाही पुण्यमय है और इस तरह के भक्तिहीन और बेईमान मुकदमों से इसे प्रदूषित नहीं करना चाहिए। याचिकाकर्ता ने क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में दवाई की दुकान हथियाने के लिए अदालत से यह तथ्य छुपाया था कि सबसे अधिक बोली उसने अपनी पत्नी से लगवाई है, जबकि उसके बाद की बोली याचिकाकर्ता ने लगाई थी। याचिकाकर्ता ने सरकारी क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में दवाई की दुकान नंबर 4 से संबंधित टेंडर को रद्द करने की गुहार लगाई थी।
इसके अलावा 13 जनवरी 2013 के आदेशों को भी रद्द करने की गुहार लगाई थी, जिसके तहत उसे टेंडर प्रक्रिया में अयोग्य घोषित किया गया था। अदालत ने पाया कि विभाग ने दवाई की दुकान के लिए टेंडर आमंत्रित किया था। जिसने 1,41,000 प्रति माह के हिसाब से किराया देने की बोली लगाई थी, उसने 19 दिसंबर 2022 को टेंडर प्रक्रिया छोड़ दी थी। उसके बाद याचिकाकर्ता ने 92,000 प्रति माह के हिसाब से किराया देने के लिए बोली लगाई थी। इस तर्क के आधार पर याचिकाकर्ता ने दवाई की दुकान उसे आवंटित करने की गुहार लगाई थी।
अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता ने यह बताना जरूरी नहीं समझा कि सबसे अधिक बोली लगाने वाली उसकी पत्नी थी, जो एनआर हॉस्पिटल चांदपुर बिलासपुर में प्रबंध निदेशक के तौर पर कार्य कर रही हैं। अदालत ने पाया कि वह भी इस षड्यंत्र में याचिकाकर्ता के साथ शामिल थीं। याचिकाकर्ता ने दुकान को कम किराये पर अपने पक्ष में आवंटित करने के लिए इस तरह का हथकंडा अपनाया। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए यह निर्णय सुनाया।