हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता संदीप सांख्यान ने प्रदेश की पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन प्रणाली पर गम्भीर प्रश्न उठाये हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पीडिएस सिस्टम को एक बड़ा घोटाला बताया है। उन्होंने इस घोटाले के प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब 15 रोलर फ्लोर मिलें हैं जबकि 65 के करीब फ्लोर मिलें प्रदेश सरकार के पास पंजीकृत हैं प्रदेश पीडिएस योजना के तहत आटे के बंटवारे में बड़ी धांधलियां सामने आई है।
717 रुपये प्रति क्विंटल बेचने वाले आटे की जगह सरकार 787 रुपये से 791 रूपये प्रति क्विंटल पिसाई के हिसाब से प्रति माह आटा खरीदा जा रहा है। इससे प्रति माह सरकार को करोड़ों रुपयों की चपत लग रही है।
पीडिएस योजना के तहत आटा की निर्धारित एलोकेशन के हिसाब से आटा खरीदा जाता है, लेकिन लघु इकाइयों की एलोकेशन कम कर दी जाती है, जबकि बड़ी फ्लोर मिलों की एलोकेशन उनकी क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा कर दी जाती है, इसमें बहुत बड़ी दलाली चल रही है।
पीडिएस योजना के अनुसार आटा लोकल लघु चक्कियों से प्राथमिकता के तौर पर खरीदा जाएगा लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है, लोकल लघु चक्कियों की दरकिनार करके आटा बड़ी फ्लोर मिलों जिला के बाहर अन्य जिलों से खरीद अधिक मूल्यों पर की जा रही है, जिसका नुकसान सरकार को सीधे तौर पर हो रहा है। ऐसा क्यों...?
बिलासपुर जिला में 14400 क्विंटल प्रति माह आटे की खपत होती है, जबकि यहां पर लघु चक्की मिलों को दरकिनार करके बाहरी जिलों से करीब 10000 क्विंटल आटा प्रति माह खरीदा जा रहा है, जबकि पीडिएस योजना के मुताबिक यह आटा स्थानीय लघु आटा चक्कियों से ही खरीदा जाना चाहिए।
बड़ी रोलर फ्लोर मिलों से ज्यादा आटा खरीद कर सीधे तौर पर कमीशन खोरी चल रही है और पीडिएस योजना के मुताबिक चोकर युक्त आटे की गुणवत्ता को नकारा जा रहा है। इसका असर आम लोंगो की सेहत पर भी पड़ रहा है। बड़ी फ्लोर मिल के मालिक इसी गेहूं से सूजी और मैदा अलग से निकाल कर अधिक मुनाफा वसूली करते हैं और लोंगो को चोकर युक्त आटे की जगह सुपर फाइन आटा खिलाया जा रहा है।
यह प्रदेश में व्याप्त एक बड़ा गोरखधंधा चल रहा है, जिसकी प्रमाणिकता भी हमारे पास है। सरकार को इसकी जांच करवाई जानी चाहिए और इस कार्यप्रणाली में व्याप्त अधिकारियों और राजनैतिक नेताओं के खिलाफ कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।