कांग्रेस हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के वरिष्ठ प्रवक्ता संदीप सांख्यान ने प्रैस को जारी बयान में कहा है कि प्रदेश सरकार की विदाई का समय तय है तथा इसी भय को लेकर भाजपा मंत्री और विधायकों जुबान नियंत्रण में नहीं है। नेताओं के भाषण में यदि छोटी मोटी गलती हो तो उसे नजरअंदाज किया जा सकता है लेकिन यदि देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वालों के नाम तक
इन्हें मालूम नहीं तो लानत है ऐसे नेताओं की सोच पर।
बीते कल जिलास्तरीय कार्यक्रम में बिलासपुर में मुख्यातिथि आए खाद्य आपूर्ति मंत्री राजेंद्र गर्ग कैप्टन विक्रम ब़त्रा का सरनेम ही बदल गए, माननीय ने उन्हें विक्रम वर्मा ही कह दिया। सोशिल मीडिया में जनाब काफी ट्रोल हो रहे हैं। वहीं इसी स्थान और इसी मंच पर सैनिक कल्याण मंत्रालय संभालने वाले स्वयं फौजी रह चुके जन शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने सारी हदें पार कर दी थी।
महेंद्र सिंह ने पीवीसी विजेता राइफल मैन संजय कुमार की महिमा का बखान करते हुए उन्हें मरणोपंरात तक संबोधित कर दिया था। इससे पता चलता है कि
इन भाजपा के माफीवीर नेताओं का देश के प्रति कितना सम्मान और प्रेम है। जो नेता अपना लेटेस्ट इतिहास को भी याद नहीं रख सकते वे आजादी के संग्राम
को भला कैसे याद रखेंगे। वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेता प्रशासनिक और राजनीतिक प्रोटोकाॅल से भी अनभिज्ञ है।
संदीप सांख्यान ने कहा कि 14 अगस्त को स्थानीय सर्किट हाउस में हुई पत्रकारवार्ता में हाइड्रो
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल भी विधायक सुभाष ठाकुर की पत्रकारवार्ता में बैठे थे। हैरानी की बात है कि हर मोर्चे पर फेल साबित हो रहे विधायक सुभाष ठाकुर अपनी पार्टी का महिमामंडन कर रहे थे तथा प्रिंसीपल साहब उनकी हां में हां मिलाते हुए विधायक को आंकड़े परोस रहे थे। राजनीतिक रूआब की परिपाटी में कम से कम प्रिंसीपल को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे किसी शैक्षणिक संस्थान के प्रिंसीपल है न कि भाजपा के। सांख्यान ने पूछा है कि विधायक ने किस नियम के तहत प्रिंसीपल को अपने साथ प्रैसवार्ता में बिठाया था और पढ़े लिखे प्रधानाचार्य को भी बताना चाहिए कि उनकी ऐसी क्या मजबूरी थी कि वे प्रशासनिक औहदे की तिलांजलि देकर विधायक की प्रैस वार्ता सांझा करने बैठ गए। कालेज में हर विचारधारा के बच्चे पढ़ते हैं ऐसे में उन बच्चों के मन में प्रिंसीपल की छवि भगवां बनने में देर नही लगेगी।
संदीप सांख्यान ने सदर बिलासपुर के विधायक को भी घरेते हुए कहा है कि विधायक जिस हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के नाम पर वाहवाही लूटने की बात कर रहें हैं तो उनको ज्ञान होना चाहिए कि इस इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रदेश सरकार और भाजपा के किसी भी नेता का कोई योगदान नहीं है। इस कॉलेज पर खर्च होने वाली राशि भारतवर्ष की नवरत्ना कम्पनियों की है, जिसमे मुख्यतः एनटीपीसी और एनएचपीसी का पैसा लगा है। तथ्यों की जानकारी देते हुए संदीप सांख्यान ने कहा कि बंदला में 62.08 बीघा जमीन पर 105 करोड़ की लागत से हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज बनकर तैयार हुआ है।
जिसका पैसा एनटीपीसी और एनएचपीसी नवरत्ना कम्पनियों के है। वहीं ऑल इंडिया काउंसलिंग फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) से हरी झंडी मिलने के बाद कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां से प्रथम वर्ष की कक्षाएं बंदला शिफ्ट हुई थी, क्योंकि बिलासपुर ने कक्षाएं बिठाने के लिए भवनए लैब, और वर्कशाप उपलब्ध नहीं थी, जो कि किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए अति आवश्यक होती है। उन्होंने प्रश्न खड़े करते हुए पूछा है कि यदि विधायक इतने काबिल होते तो एक बैच वर्ष 2020 में नगरोटा से निकल कर पास आउट कर गया तब विधायक महोदय कहाँ पर थे जबकि यह वर्ष 2017 दिसम्बर से यह खुद विधायक बन गए थे। तो क्यों वर्ष 2021 में कक्षाएं शिफ्ट की गई जबकि वर्ष 2018 वर्ष 2019 वर्ष 2020 में भी यही विधायक थे।
अगर विधायक जी यह दावा कर रहे हैं कि बाकी ट्रेड उनके द्वारा यहां पर हस्तांतरित करवाए गए है तो उनको इस बात का इल्म होना चाहिए कि यह आल इंडिया टेक्निकल काउंसिल की एक सतत प्रक्रिया होती है जिसके कारण बाकी के ट्रेड बिलासपुर के बंदला हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में लाए गए है। अब जब चुनाव सिर पर है तो विधायक जी वाहवाही लूटने हेतू इस तरह के पडपंच रच रहे है कि वही सर्वेसर्वा हैं और इस तरह की राजनीति एक जनप्रतिनिधि को शोभा नहीं देती है।