प्रदेश के विभिन्न विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती न केवल पिछली सरकार ने की, बल्कि जयराम सरकार ने भी यह सिलसिला जारी रखा। लेकिन इनके लिए अभी तक कोई भी स्थायी नीति नहीं बनाई जा सकी है। अलग-अलग विभागों में अलग-अलग नीतियां हैं। वेतन और मानदेय के मामले में भी असमानता की स्थिति बनी हुई है।
ऐसे में आउटसोर्स कर्मचारी एक स्थायी और एक समान नीति की मांग कर रहे हैं और खुद को सरकारी नौकरी में शामिल करने को कह रहे हैं। इसी तरह से शिक्षा विभाग में एमएमसी शिक्षकों की नियुक्ति भाजपा की पिछली सरकार की 2012 में बनी नीति के तहत की गई है। ये नियुक्तियां अगली सरकार ने भी जारी रखीं। भाजपा की दोबारा से बनी सरकार के चार साल पूरे हो चुके हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर एसएमसी शिक्षकों को धीरज रखने की सलाह दे चुके हैं।
पूर्व सीएम प्रेमकुमार धूमल में इस संबंध में दो बार सीएम को चिट्ठियां लिख चुके हैं। एसएमसी शिक्षकों का मामला स्वर्णिम दृष्टिपत्र में भी शामिल हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से यह कर्मचारी भी यह आस लगाए हैं कि वे अनुबंध या नियमित नीति को तोहफा ले सकते हैं। अस्थायी कर्मचारियों के कई अन्य वर्गों को भी चुनावी साल में राहत मिलने की उम्मीद है।