बता दें कि नैशनल इन्वैस्टिगेशन एजैंसी ने आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सपोर्ट करने वाले ओवरग्राऊंड वर्कर्स के खिलाफ एक मुकद्दमा 6 नवम्बर 2021 को दर्ज किया था। इस मामले में आरोप था कि ये ओवर ग्राऊंड वर्कर आतंकवादी संगठनों को हर तरह की सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं, जिसके चलते आतंकवादी कई बार अपने नापाक इरादों में कामयाब भी हो रहे हैं। इस मामले की जांच के दौरान नैशनल इन्वैस्टिगेशन एजैंसी ने आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था। हिमाचल प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी उस समय एजैंसी में बतौर एसपी तैनात थे।
आरोप है कि इस मामले से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां इन ओवरग्राऊंड वर्करों के जरिए आतंकवादी संगठन तक पहुंची जिसके बाद इस मामले की जांच की गई की आखिर यह जानकारियां आतंकवादी संगठन तक कैसे पहुंच गई।एनआईए के अधिकारी के मुताबिक इस मामले में शक की सुई आईपीएस अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी की तरफ बढ़ी तब तक नेगी को एजैंसी से उनके मूल काडर हिमाचल प्रदेश भेज दिया गया था, जहां नेगी बतौर एसपी शिमला में तैनात थे।
नैशनल इन्वैस्टिगेशन एजैंसी ने नेगी के ठिकानों पर छापेमारी की और मामले से संबंधित अनेक गोपनीय दस्तावेज उनके ठिकानों से मिले जिसके बाद नेगी को गिरफ्तार कर लिया गया। अब तक की जांच के दौरान यह भी पता चला है कि नेगी के माध्यम से ही अनेक सूचनाएं ओवरग्राऊंड वर्कर तक और फिर आतंकवादी संगठन तक पहुंची थी।