केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार सिंगल यूज प्लास्टिक का संबंधित उद्योग और कंपनी द्वारा बेहतर निपटान करना आवश्यक है. राज्यस्तर पर टास्क फोर्स का गठन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किया गया है. निदेशक पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को सदस्य सचिव बनाया गया है.
15 अन्य सदस्य बनाए गए हैं, जिसमें श्रम एवं रोजगार, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, उद्योग, शिक्षा विभाग के सचिव और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के प्रदेश संयोजक और परियोजना अधिकारी व राज्य संयोजक स्वच्छ भारत मिशन शहरी को सदस्य बनाया गया है.
विशेष टास्क फोर्स की माह में दो बार बैठक आवश्यक की गई है. जिला उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिलास्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया गया है, जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी सदस्य सचिव होंगे. इसके अलावा पुलिस अधीक्षक, एडीएम, एसडीएम, सीएमओ, आयुक्त नगर निगम, आबकारी एवं कराधान विभाग के उप या सहायक आयुक्त, डीएफओ, जिला पर्यटन अधिकारी, आरटीओ जिला खाद्य नियंत्रक सदस्य बनाए गए हैं..
2019 लगा था प्रतिबंध, 25000 तक का जुर्माना
पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग इस मियाद के बाद व्यापक स्तर पर निरीक्षण अभियान चलाकर प्रतिबंधित उत्पाद मिलने पर संबंधित व्यक्ति, दुकानदार या संस्थान पर जुर्माना लगाएगा. अधिसूचना के अनुसार प्रतिबंधित प्लास्टिक बरामद होने पर 25000 रुपये तक जुर्माना लगेगा. 100 ग्राम तक प्रतिबंधित प्लास्टिक मिलने पर 500 रुपये का जुर्माना लगेगा.
500 ग्राम तक मिलने पर 1500 रुपये, एक किलो बरामद होने पर तीन हजार, पांच किलो तक दस हजार, 10 किलो तक के लिए 20 हजारा रुपये और 10 किलो से अधिक प्रतिबंधित प्लास्टिक बरामद होने पर 25 हजार रुपये तक के जुर्माने लगेगा. शिक्षण संस्थान, मंदिर, ढाबे या रेस्टोरेंट के आसपास एक बार इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक मिला तो पांच हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.