बिलासपुर : पिछले विधानसभा चुनावों में राजेंद्र गर्ग ने घुमारवीं की जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाकर बड़ी उम्मीदें जगाई थी लेकिन चुनाव जीतने के बाद अपनी सारी शक्ति मंत्री पद हासिल करने, पत्नी की पदोन्नति के लिए मंत्रिमंडल से नियमों में विशेष छूट दिलाने, भ्रष्टाचार व चिट्टा सरगना के मामलों को दबाने, अपने पूंजीपति मित्रों को सरकारी संपत्ति लुटाने और कांग्रेस सरकार के समय मेरे द्वारा स्वीकृत करवाए गए कार्यों को पहले रोकने व बाद में अपना नाम जोड़कर श्रेय लेने में ही अपना कार्यकाल समाप्त कर दिया। भाजपा द्वारा उप चुनाव हारने व विधानसभा चुनाव नजदीक आते देख राजनैतिक नौटंकी शुरू कर दी है।
घुमारवीं शहर में प्रस्तावित मेन मार्केट बाईपास सड़क से संबंधित पत्रों में शामिल निम्नलिखित बिंदुओं को पढ़ने से न्यायप्रिय घुमारवीं वासियों व बुद्धिजीवियों को श्री गर्ग की असलियत जानने का अवसर मिलेगा। पुल से बस अड्डे की तरफ प्रस्तावित सड़क का कार्य रोकने के विरुद्ध श्री मान सिंह द्वारा मा. उच्च न्यायालय में दायर मामले में सरकार द्वारा 25.7.2019 को लिखित पत्र दिया गया जिसमें कहा गया कि इस सड़क को बनाने की जरूरत नहीं है क्योंकि मेन बाजार की सड़क को बसों के लिए खोल दिया जाएगा और इसके खोलने से ट्रैफिक जाम की समस्या हल हो जाएगी। पत्र में यह भी लिखा गया है कि इस सड़क को न बनाने से सरकार की 3.50 करोड़ रुपये की बचत होगी।
(इस सड़क को न बनाए जाने के पीछे कुछ मंत्री मित्रों का निजि स्वार्थ था जो उस समय नया बस अड्डा बनाने के लिए जगह ढूँढ रहे थे।)
इस पत्र में यह भी लिखा है कि 15 लाख रु की पहली किस्त लोक निर्माण विभाग के पास जमा है, पुलिस थाना की 19 बिस्वा जमीन परिवहन विभाग के नाम हो चुकी है और 30 बिस्वा निजि जमीन अधिग्रहण के लिए 10 लाख रुपये प्रति बिस्वा के हिसाब से तय हो चुके हैं (भूमि अधिग्रहण का खर्चा उच्च मार्ग-103 परियोजना से वहन होना था।
21.9.2021 को जिलाधीश बिलासपुर ने लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव को भूमि अधिग्रहण के लिए कमेटी गठित करने के लिए पत्र लिखा जिसमें दलील दी गई कि मेन बाजार से होते हुए एसडीएम कार्यलय, कोषागार व तहसील परिसर की तरफ जाने वाली छोटी गाड़ियों की वजह से उच्च मार्ग पर लगने वाले जाम से निजात दिलाने के लिए भूमि अधिग्रहण आवश्यक है।
मंत्री जी एक तरफ तो सारे सरकारी कार्यलयों को प्रस्तावित संयुक्त कार्यलय भवन में स्थानांतरित करने के लिए प्रयासरत हैं वहीं दूसरी तरफ इन कार्यलयों का हवाला देकर भूमि अधिग्रहण का केस बनाया गया।
विरोधाभासी दलीलें देने से क्या साबित होता है वो न्यायप्रिय जनता तय करे।
सड़कें जितनी बन जाएं उतनी ही अच्छी हैं लेकिन हमारी आपत्ति सिर्फ यह है कि मेरे द्वारा स्वीकृत करवाई गई सड़क निर्माण क्यों रोका गया? जबकि इस सड़क को बनाए जाने से बस अड्डे में आने-जाने वाली बसों की वजह से उच्च मार्ग पर लगने वाले जाम से भी छुटकारा मिलना था और पुराने बस अड्डे की तरफ वाला बाजारवासी भी लाभान्वित होने थे।
अगर तथ्यों का गहराई से अवलोकन करेंगे तो अाप जान जाएंगे कि पहले सड़क निर्माण को अवरुद्ध करने के पीछे मंत्री जी के चहेते पूंजीपतियों का हाथ था और जब वे बस अड्डे के लिए वैकल्पिक स्थान नहीं ढूँढ पाए तो अब उन्होंने अब नई सड़क निर्माण का प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसका लाभ उन्हें मिलेगा और आने वाले समय में जनता व किसानों को सब्जी मंडी सहित इसका लाभ मिलेगा।