उधर, राजधानी शिमला शहर के हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के क्षेत्रीय प्रबंधक के तबादले के विरोध में निगम के चालकों और परिचालकों की हड़ताल दूसरे दिन भी जारी रही। शनिवार को 2000 से ज्यादा रूटों पर परिवहन निगम की बसें नहीं चलीं। सुबह नौ बजे के बाद बसों का संचालन बंद कर दिया गया। शिमला, हमीरपुर, किन्नौर, ऊना, कांगड़ा, चंबा, सिरमौर और सोलन जिले में सबसे ज्यादा सरकारी बस सेवा प्रभावित रही। यहां तक कि दिल्ली, चंडीगढ़ और बाहरी राज्यों के लिए भी बसें नहीं चलाई गईं। वोल्वो भी खड़ी रखीं। हड़ताल से आम लोग और पर्यटक भी परेशान रहे। उधर, हमीरपुर समेत कई बस अड्डों में तो निजी बसों को भी नहीं घुसने दिया गया। एचआरटीसी के चालकों और परिचालकों ने शिमला समेत कई जगह जोरदार नारेबाजी कर प्रदर्शन किए।
एचआरटीसी के एमडी संदीप कुमार ने बताया कि प्रबंधन हमेशा कर्मचारियों से बातचीत के लिए तैयार रहता है और अभी भी उन्हें बुलाया गया है। अगर कर्मचारी बिना विषय के हड़ताल करेंगे और आम लोगों को परेशानी होगी तो सरकार को कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। बता दें कि शनिवार को परिवहन निगम शिमला-2 डिपो के आरएम के तबादले के विरोध में शिमला और रामपुर, रोहड़ू के कर्मचारी हड़ताल पर रहे। धर्मशाला, हमीरपुर, नालागढ़ और रिकांगपिओ के भी सभी रूट ठप रहे। कॉलेज में परीक्षा देने के लिए छात्र-छात्राएं टैक्सियों से पहुंचे। ऊना में भी गुस्साए कर्मचारियों ने बस अड्डा बंद कर दिया। धर्मशाला-दिल्ली नेशनल हाईवे पर सैकड़ों वाहनों की कतारें लग गई। बिलासपुर में भी एचआरटीसी कर्मचारियों की हड़ताल के समर्थन में स्थानीय कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। सोलन बस अड्डे पर बसों का प्रवेश रोकने पर एचआरटीसी और निजी बस ऑपरेटर आमने-सामने हो गए। इन पर निजी बस ऑपरेटर भड़क गए। शिमला जिले में सबसे ज्यादा 800 बस रूट बंद रहे। इसके अलावा कांगड़ा में 152, सिरमौर में 60, ऊना में 30, चंबा में 42 और जोगिंद्रनगर में 27 रूटों पर बसें नहीं चलीं। एचआरटीसी कर्मचारी संयुक्त समन्वय समिति के सचिव देवी शर्मा ने बताया कि प्रदेश में 2000 से ज्यादा रूटों पर निगम की बसें नहीं चलीं।