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शिमला, 27 जून। हिमाचल प्रदेश सरकार जून के चौथे सप्ताह में हिमाचल कर्ज के तहत 800 से 1,000 करोड़ रुपये का ऋण लेगी। चालू वित्त वर्ष में सरकार 3,000 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। अप्रैल में 1,700 करोड़ और 500 करोड़ रुपये के दो कर्ज लिए गए। मई में कोई कर्ज नहीं लिया गया। राजस्व घाटा अनुदान पिछले वर्ष की तुलना में घटकर 250 करोड़ रुपये रह गया है। यह स्थिति सरकार के लिए वित्तीय चुनौती बन रही है।
प्रदेश सरकार को हर माह कर्मचारियों के वेतन और पेंशन के लिए 2,000 करोड़ रुपये चाहिए। इसके अलावा, ऋण का ब्याज और मूलधन चुकाने के लिए 800 करोड़ रुपये की जरूरत है। कुल मिलाकर, सरकार को हर माह 2,800 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। हिमाचल कर्ज की स्थिति को देखते हुए सरकार के पास कर्ज लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। यह राशि विकास कार्यों और वित्तीय जरूरतों को पूरा करेगी।
चालू वित्त वर्ष में हिमाचल सरकार केवल 6,200 करोड़ रुपये का कर्ज ले सकती है। केंद्र सरकार अंतिम तिमाही में सभी राज्यों के लिए ऋण सीमा तय करती है। माना जा रहा है कि जनवरी से मार्च 2025 तक सरकार को 1,000 करोड़ रुपये या इससे अधिक कर्ज लेने की अनुमति मिल सकती है। हिमाचल कर्ज की बढ़ती जरूरत को देखते हुए यह राशि महत्वपूर्ण होगी।
वित्त विभाग के अधिकारी राज्य की आर्थिक स्थिति को लेकर चिंतित हैं। प्रत्येक मंत्रिमंडल बैठक में मंत्रियों को वित्तीय स्थिति की जानकारी दी जाती है। अधिकारियों का मानना है कि अगस्त तक 6,200 करोड़ रुपये की ऋण सीमा समाप्त हो जाएगी। इसके बाद वेतन और पेंशन के लिए नए विकल्प तलाशने होंगे। हिमाचल कर्ज की स्थिति सरकार के लिए गंभीर चुनौती बन रही है।
पिछले वित्त वर्ष में सरकार को हर माह 522 करोड़ रुपये राजस्व घाटा अनुदान के रूप में मिलते थे। इस वर्ष यह राशि घटकर 250 करोड़ रुपये हो गई है। इस कमी ने सरकार की वित्तीय स्थिति को और जटिल कर दिया है। हिमाचल कर्ज लेने की मजबूरी इसी कमी का परिणाम है। सरकार को कर्मचारियों और पेंशनरों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर माह भारी राशि की व्यवस्था करनी पड़ रही है।