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शिमला, 04 मई । हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के सरकारी स्कूल देइया में कार्यरत एक टीजीटी (आर्ट्स) शिक्षक को शिक्षा विभाग ने टर्मिनेट कर दिया है। शिक्षक पर आरोप था कि उसने अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर आरक्षित श्रेणी का लाभ उठाते हुए नौकरी हासिल की थी। इस मामले में नेरवा थाने में एफआईआर भी पहले ही दर्ज हो चुकी है।
बर्खास्ती के आदेश जारी
शिक्षा विभाग के निदेशक आशीष कोहली की ओर से बर्खास्तगी के आदेश जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति बेरोजगार संघ ने इस मामले की शिकायत सचिव (शिक्षा) को दी थी। जांच में पाया गया कि शिक्षक ने 2009 में बैचवाइज प्रक्रिया के तहत एससी (आईआरडीपी) श्रेणी में नियुक्ति प्राप्त की थी, जबकि वह वास्तव में सामान्य वर्ग से था।
मेडिकल बोर्ड में भी भरी गलत जानकारी
शिक्षक ने मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र में भी खुद को अनुसूचित जाति श्रेणी का बताते हुए जानकारी दी थी। विभाग की वर्ष 2017 में जारी अंतिम वरिष्ठता सूची में भी उसे एससी कोटे में दर्शाया गया, लेकिन बाद में प्रमाणित हुआ कि उसकी जाति संबंधी जानकारी फर्जी है।
नोटिस का जवाब नहीं आया काम
3 फरवरी 2025 को शिक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें एक सप्ताह के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था। शिक्षक ने चार सप्ताह का समय मांगा और बाद में जवाब दिया, मगर वह जवाब अस्वीकार्य और असंतोषजनक पाया गया। जांच में स्पष्ट हुआ कि उसने जानबूझकर गलत प्रमाण पत्र का सहारा लेकर एससी कोटे की नौकरी ली थी।
अब होगी अगली कानूनी कार्रवाई?
अब जबकि विभागीय स्तर पर सेवाएं समाप्त हो चुकी हैं, एफआईआर की जांच और कानूनी कार्रवाई की दिशा में भी प्रक्रिया तेज हो सकती है। ऐसे मामलों में अन्य फर्जी नियुक्तियों की भी जांच की मांग उठ सकती है।