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शिमला। हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना रनौत एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार उनके निशाने पर हैं राज्य के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह, जिन्होंने कंगना पर सांसद की जिम्मेदारियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। कंगना ने हाल ही में 11 महीने की देरी के बाद मंडी में DISHA (डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट कोऑर्डिनेशन एंड मॉनिटरिंग कमेटी) का गठन किया, जिसे लेकर विक्रमादित्य ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इसके साथ ही, वक्फ बोर्ड संशोधन बिल और केंद्र से मदद जैसे मुद्दों पर भी उनकी टिप्पणियों ने सियासी हलचल मचा दी है। आइए जानते हैं इस पूरे मामले की सच्चाई।
DISHA कमेटी में देरी पर सवाल
विक्रमादित्य सिंह ने कंगना रनौत पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें सांसद बने एक साल से ज्यादा समय हो गया, लेकिन वह अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से नहीं ले रही हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “कंगना को मंडी की जनता ने सांसद चुना, लेकिन वह केवल अपने कैफे के उद्घाटन के लिए ही हिमाचल आती हैं। DISHA की बैठकें, जो केंद्र प्रायोजित योजनाओं की निगरानी के लिए अहम हैं, लेने का उनके पास वक्त ही नहीं है।” DISHA कमेटी का गठन सांसदों की अध्यक्षता में होता है और यह जिला स्तर पर विकास कार्यों की समीक्षा करती है। विक्रमादित्य ने कहा कि 11 महीने की देरी न सिर्फ लापरवाही है, बल्कि मंडी की जनता के साथ अन्याय भी।
सांसद की जिम्मेदारी या सिर्फ शोबाजी?
लोक निर्माण मंत्री ने कंगना की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा, “सांसद का काम सिर्फ संसद में भाषण देना या सोशल मीडिया पर बयानबाजी करना नहीं है। मंडी जैसे विशाल लोकसभा क्षेत्र में विकास योजनाओं की निगरानी और लोगों की समस्याओं को सुनना भी जरूरी है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि पिछले साल मंडी में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान भी कंगना नदारद थीं, जबकि उस वक्त क्षेत्र को उनकी जरूरत थी। विक्रमादित्य ने कंगना से अपील की कि वह अपनी जिम्मेदारियों को समझें और मंडी के हित में काम करें।
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल पर कांग्रेस का विरोध
वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर भी विक्रमादित्य सिंह ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक ने इस बिल के खिलाफ संसद में मजबूती से आवाज उठाई है। इस बिल में कई विरोधाभासी पहलू हैं, जिन्हें ठीक करने की जरूरत है।” उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह बिल संवैधानिक ढांचे के खिलाफ है और धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है। विक्रमादित्य ने जोर दिया कि सरकार को संविधान के दायरे में रहकर ही कोई कदम उठाना चाहिए, न कि जल्दबाजी में ऐसे कानून लाने चाहिए जो विवाद पैदा करें।
जयराम ठाकुर को भूलने की बीमारी?
केंद्र से मदद के मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के बयान पर पलटवार करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने तंज कसा। उन्होंने कहा, “जयराम ठाकुर को भूलने की बीमारी हो गई है। हाल ही में विधानसभा के बजट सत्र में मैंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए केंद्र का आभार जताया था, यह सब रिकॉर्ड पर है।” उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने PDNA (पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट) के तहत मदद की बात की थी, जो केंद्र से अभी तक नहीं मिली। विक्रमादित्य ने जयराम पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया।
मंडी की जनता के बीच बहस तेज
कंगना रनौत और विक्रमादित्य सिंह के बीच यह जुबानी जंग मंडी की सियासत में नया रंग ला रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में कंगना ने विक्रमादित्य को 74,755 वोटों से हराया था, लेकिन दोनों के बीच तल्खी अब भी बरकरार है। जहां कंगना ने अपनी जीत को पीएम मोदी और बीजेपी के प्रति भरोसे की जीत बताया था, वहीं विक्रमादित्य मंडी के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते रहे हैं। अब DISHA कमेटी के गठन में देरी ने इस बहस को और हवा दे दी है।
यह विवाद न सिर्फ कंगना की सांसद के तौर पर भूमिका पर सवाल उठा रहा है, बल्कि हिमाचल की राजनीति में भी नई बहस छेड़ रहा है। क्या कंगना इस आलोचना का जवाब देंगी, या फिर यह सियासी जंग और तेज होगी, यह देखना बाकी है।