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शिमला। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस संगठन को लेकर एक बार फिर से मतभेद उभर आए हैं। संगठनात्मक जिलों की संख्या बढ़ाने को लेकर पार्टी के भीतर दो गुट बन गए हैं। कुछ वरिष्ठ नेता पार्टी के संगठनात्मक ढांचे का विस्तार चाहते हैं, जबकि कुछ नेता इसके विरोध में हैं। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को दिल्ली बुलाया है।
नए जिलों के गठन पर हाईकमान करेगा फैसला
दिल्ली में होने वाली इस बैठक में संगठन को अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, राज्य और ब्लॉक स्तर की कार्यकारिणी लगभग तय हो चुकी है, लेकिन जिला स्तर की कार्यकारिणी को लेकर अब भी अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। कांग्रेस आलाकमान इस पर अंतिम मुहर लगा सकता है और इसी सप्ताह नई कार्यकारिणी की घोषणा हो सकती है।
पाटिल के बुलावे पर सुक्खू दिल्ली रवाना
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल ने मुख्यमंत्री सुक्खू को सभी जिलों के संभावित अध्यक्षों की सूची के साथ दिल्ली बुलाया है। इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर की कार्यकारिणी की सूची हाईकमान को सौंप चुकी हैं। अब अंतिम निर्णय कांग्रेस नेतृत्व को लेना है कि जिलाध्यक्ष पदों पर किन नेताओं को मौका दिया जाए।
बीजेपी की रणनीति पर कांग्रेस का मंथन
प्रदेश में फिलहाल कांग्रेस के 13 संगठनात्मक जिले हैं, जबकि बीजेपी के 17 जिले हैं। कांग्रेस का एक धड़ा चाहता है कि पार्टी का संगठनात्मक ढांचा भी बीजेपी की तर्ज पर बढ़ाया जाए, ताकि अधिक नेताओं को संगठन में समायोजित किया जा सके और कार्यों का प्रबंधन बेहतर हो। लेकिन इस फैसले पर मतभेद होने के कारण नई कार्यकारिणी की घोषणा भी लंबित हो गई है।
150 दिन से कांग्रेस संगठन विहीन
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बने 150 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक पार्टी का संगठनात्मक ढांचा पूरी तरह से स्थापित नहीं हो पाया है। बीते वर्ष 6 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर की कार्यकारिणी को भंग कर दिया था। इसके बाद से प्रदेश में संगठन की जिम्मेदारी सिर्फ प्रतिभा सिंह के कंधों पर है।
प्रदेश अध्यक्ष बदलने पर कोई निर्णय नहीं
पिछले कुछ समय से हिमाचल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की अटकलें भी लगाई जा रही थीं। हालांकि, पार्टी सूत्रों के अनुसार, फिलहाल कांग्रेस आलाकमान इस दिशा में कोई बदलाव नहीं करने जा रहा है। यदि अध्यक्ष बदला जाता है तो इससे पार्टी का एक गुट असंतुष्ट हो सकता है, खासकर प्रतिभा सिंह के समर्थक नाराज हो सकते हैं।
ऐसे में कांग्रेस फिलहाल प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में ही आगे बढ़ने की रणनीति पर काम कर रही है। बहरहाल, अब सभी की नजरें दिल्ली में होने वाली इस अहम बैठक पर टिकी हैं, जहां मुख्यमंत्री सुक्खू और कांग्रेस हाईकमान के बीच संगठनात्मक बदलाव को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा।