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सोलन। एपीएमसी सोलन में भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का गहरा खेल चल रहा है, जिसमें आर्थियों (बिचौलियों) से जुर्माने के नाम पर अत्यधिक धन वसूला जा रहा है। यह प्रणाली पारदर्शिता से कोसों दूर है और इसमें राजनीतिक हस्तियों और प्रशासनिक अधिकारियों की सीधी भागीदारी नजर आती है।
अत्यधिक जुर्माने की व्यवस्था
एपीएमसी के नियमों के अनुसार, आर्थियों को 15 दिनों के भीतर मार्केट फीस जमा करनी होती है। लेकिन यदि वे इस समय सीमा में भुगतान नहीं कर पाते, तो उन पर ₹100 के बदले ₹600 तक का जुर्माना लगाया जाता है। इसका मतलब है कि 500% अतिरिक्त जुर्माना वसूला जाता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी पर ₹1,00,000 का बकाया है, तो उससे ₹6,00,000 तक की मांग की जाती है। यह न केवल अनुचित है, बल्कि आर्थियों को आर्थिक रूप से कमजोर बनाने की साजिश है।
ऊपरी कमाई के खेल
इतने अधिक जुर्माने का उद्देश्य केवल फीस वसूलना नहीं है, बल्कि इसके जरिए अधिकारियों और राजनीतिक हस्तियों के लिए “ऊपरी कमाई” का रास्ता खोलना है। जुर्माना अधिक होने के कारण आर्थियों को “समझौता” करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिसमें उनसे अवैध रूप से धन वसूला जाता है। यह भ्रष्टाचार का सबसे सीधा उदाहरण है।
पारदर्शिता की कमी
यदि एपीएमसी सोलन से पूछा जाए कि कितने आर्थियों पर जुर्माना लगाया गया और कितनों ने समय पर भुगतान किया, तो संभवतः स्पष्ट जवाब नहीं दिया जाएगा। इसका कारण है कि इस व्यवस्था में जानबूझकर पारदर्शिता नहीं रखी जाती, ताकि बीच का खेल उजागर न हो।
राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तक्षेप
इस भ्रष्टाचार में राजनीतिक हस्तियों और प्रशासनिक अधिकारियों की प्रत्यक्ष भागीदारी होती है। एपीएमसी के प्रमुख पदों पर अक्सर उन्हीं लोगों को बैठाया जाता है, जो राजनीतिक रूप से प्रभावशाली होते हैं। ये लोग इस पूरी प्रणाली को अपने लाभ के लिए उपयोग करते हैं।
अवैध वसूली और इसके प्रभाव
आर्थिक बोझ: अत्यधिक जुर्माना आर्थियों को आर्थिक संकट में डाल देता है।
भ्रष्टाचार को बढ़ावा: जुर्माने के बहाने अवैध वसूली का खेल चलता है।
पारदर्शिता का अभाव: वित्तीय गतिविधियों का रिकॉर्ड जानबूझकर अस्पष्ट रखा जाता है।
किसानों पर प्रभाव: आर्थियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से इसका असर किसानों तक पहुंचता है।
समाधान के उपाय
जुर्माने का तर्कसंगत निर्धारण: जुर्माने को उचित अनुपात में तय किया जाए।
डिजिटल प्रणाली: मार्केट फीस और जुर्माने के लिए पूरी तरह डिजिटल प्रणाली लागू की जाए।
ऑडिट और निगरानी: एपीएमसी की सभी गतिविधियों का नियमित ऑडिट किया जाए।
पारदर्शिता सुनिश्चित करना: सभी लेन-देन और निर्णयों को सार्वजनिक किया जाए।
सख्त कार्रवाई: भ्रष्ट अधिकारियों और राजनीतिक हस्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
एपीएमसी सोलन में जुर्माने की आड़ में चल रही अवैध वसूली और ऊपरी कमाई का यह खेल न केवल आर्थियों के लिए संकट का कारण है, बल्कि पूरे सिस्टम को भ्रष्ट बनाता है। सरकार और प्रशासन को इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और पारदर्शी व निष्पक्ष प्रणाली लागू करनी चाहिए। जुर्माने का उद्देश्य सुधार होना चाहिए, न कि ऊपरी कमाई के नए तरीके तलाशना।