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राज्य ब्यूरो। एचआरटीसी (HRTC) से बर्खास्त चालक रविंद्र सिंह (Dismissed Driver Ravinder Singh) तो आज घर बैठ गया है,पर अपने पीछे कई सवाल खड़े कर गया है। अगर पूरे मामले की सही जांच हो जाए तो कई राज खुल जाएंगे,कईयों के चेहरे बेनकाब हो जाएंगे। रविंद्र सिंह तो सिर्फ एक मोहरा बन गया जो सोशल मीडिया पर निगम के मामलों को सांकेतिक रूप से उजागर करता आ रहा था।
बताया जा रहा है कि विभाग ने गलत तरीके से दबाव में आकर अंग्रेजी भाषा में एक आरोप पत्र और कबूल नामा तैयार करके रविंद्र सिंह से यह कहते हुए साइन करवा दिए कि आपकी विभागीय पेशी में अटेंडेंस लग रही है, इसलिए आप यहां साइन करो जबकि चालक ने पहले ही विभागीय इंक्वायरी (Departmental Inquiry) में लिखित में दिया था कि वह अंग्रेजी भाषा नहीं जानता है, उसकी इंक्वायरी केवल हिंदी में की जाए। लेकिन खेल तो कुछ और ही चल रहा था,आरोप पत्र को आधार बनाकर रविंद्र सिंह को 11 साल की सेवाओं के बीच नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।
सोशल मीडिया में उजागर मामलों में किसी का नाम नहीं था। जानकारी के अनुसार बर्खास्त चालक रविंद्र सिंह ने जो मामले सोशल मीडिया में उजागर किए थे उनमें कहीं भी किसी विभाग, किसी सरकार, या किसी अधिकारी का नाम ही नहीं था, फिर भी विभागीय अधिकारियों (Departmental Officer) ने उसकी नौकरी छीन ली। रविंद्र सिंह वर्ष 2013 में हाईकोर्ट के आदेशों के बाद नौकरी में लगे थे, उसके बाद से ही वह निगम के अधिकारियों और सरकार की आंखों की किरकिरी बने रहे।
HRTC में नौकरी लगने के बाद रविंद्र सिंह भारतीय मजदूर संघ (Bharatiya Mazdoor Sangh) से जुड़े, इसके बाद उन्हें हिमाचल परिवहन मजदूर संघ रामपुर इकाई का अध्यक्ष भी बनाया गया। इस दौरान वर्ष 2015 में उन्हें सोलन भेज दिया गया, जहां से वह दिल्ली और हरिद्वार रूट पर चलते थे। इसी दौरान वर्ष 2016 में दिल्ली रूट (Delhi Route) पर जाते समय पानीपत फ्लाईओवर के ऊपर यात्रियों से भरी बस को निशाना बनाकर चालक कक्ष में बिना नंबर की कार सवार बदमाशों ने (Firing) फायरिंग की थी, जिसमें वह बाल-बाल बचे थे। लेकिन उस मामले को दबा दिया गया। इसके बाद हरिद्वार रूट पर जाते समय देहरादून में भी ऐसी ही घटना उनके साथ हुई थी, जिसमें बिना नंबर की कार सवार नकाबपोश बदमाशों ने यात्रियों से भरी बस को रोक कर पिस्टल (Pistol) दिखाते हुए उन्हें यूनियन बाजी ना करने की धमकी दी थी।
बर्खास्त होने के बाद अपील का कोई जवाब नहीं आया
रविंद्र सिंह ने बर्खास्त होने के बाद नियमानुसार एचआरटीसी के मंडलीय प्रबंधक हमीरपुर (HRTC Divisional Manager Hamirpur) को अपील की थी लेकिन आज दिन तक कोई जवाब नहीं आया, जिस कारण वे पिछले डेढ़ महीने से घर में बैठे हैं। जिस कारण उन्हें अपना परिवार चलाने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
चालक रविंद्र सिंह ने बैंक से सैलरी के ऊपर 5 लाख रुपया लोन ले रखा है जिसकी भरपाई करना उन्हें मुश्किल हो गया है। ये पूरी कहानी रविंद्र सिंह की नहीं इसके पीछे बहुत सारी कडियां जुडी हुई हैं,कहा तो ये जाएगा कि बर्खास्त चालक ने निगम के नियमों के विपरीत जाकर सोशल मीडिया (Social Media) पर ऐसा किया-वैसा किया,लेकिन इस मामले की सही से जांच (Investigation) हो जाए तो कईयों के चेहरे से नकाब उतरने अपने आप शुरू हो जाएंगे।