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शिमला। प्रदेश सरकार निजी अस्पतालों में हिमकेयर कार्ड पर मरीजों को डायलिसिस सुविधा जारी रख सकती है। इसमें पांच महीने तक निजी अस्पतालों को एक्सटेंशन दी जा सकती है। स्वास्थ्य निदेशालय ने इसकी फाइल प्रदेश सरकार को भेजी है। प्रदेश सरकार ने निजी अस्पताल में मरीजों को 1 सितंबर से 30 नवंबर, 2024 तक डायलिसिस सेवाएं प्रदान करने का निर्णय लिया था। सरकार ने निजी अस्पतालों की इंपेनलमेंट खत्म की है। पहले निजी अस्पतालों में हिमकेयर कार्ड पर मरीजों की हर बीमारियों का इलाज होता था। सरकार को शिकायतें मिलीं कि कई निजी अस्पतालों में गोरखधंधा चल रहा है।
मरीज की बीमारी का हजारों में होने वाले उपचार के लाखों रुपये के बिल बना दिए गए। इससे प्रदेश सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के ध्यान में यह भी मामला आया कि एक निजी अस्पताल ने 25 हजार में होने वाले हर्निया के ऑपरेशन का बिल एक लाख रुपये बना दिया। ऐसे में सरकार ने निजी अस्पतालों की इंपेनलमेंट खत्म कर दी। हालांकि, इन अस्पतालों में सिर्फ डायलिसिस की सुविधा जारी रखी। यह भी शिकायतें आई हैं कि हिमकेयर योजना शुरू होने के साथ-साथ प्रदेश में कई निजी अस्पताल खोल दिए गए।
प्रदेश सरकार का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में जरूरतमंद इस योजना के तहत इलाज निशुल्क करवा सकते हैं। सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनरों को योजना से इसलिए बाहर किया, क्योंकि इनके मेडिकल बिलाें का भुगतान सरकार करती है। सरकारी और निजी अस्पतालों की तीन सौ करोड़ रुपये की देनदारी है। इसमें निजी अस्पतालों की 128, जबकि बाकी सरकारी अस्पतालों की है। इससे पहले निजी अस्पतालों में हिमकेयर कार्ड पर इलाज कराने की 400 करोड़ रुपये के करीब देनदारियां थीं। बताया जा रहा है कि निजी अस्पतालों में मरीज के आते ही उनका हिमकेयर कार्ड बना लिया जाता था। उसके बाद निजी अस्पताल मनमर्जी के ऑपरेशन का सामान और दवाइयों के रेट लगा देते थे।
निजी अस्पतालों में मरीजों को डायलिसिस सुविधा जारी रखने पर विचार चल रहा है। निजी अस्पतालों को एक्सटेंशन देने की फाइल आई है। लोगों की सुविधा के चलते फैसला लिया जाएगा।- एम सुधा देवी, सचिव, स्वास्थ्य विभाग