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बिलासपुर। एम्स बिलासपुर में ब्रोंकोस्कोपी सुविधा शुरू होने के बाद अब प्रबंधन ने एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड सेवाओं के लिए कवायद शुरू कर दी है। यह मरीज के वायु मार्ग को देखने के लिए एक अल्ट्रासाउंड जांच है जो ब्रोंकोस्कोपी से जुड़ी होती है। इस सुविधा को शुरू करने वाला एम्स प्रदेश का पहला स्वास्थ्य संस्थान होगा। इसके लिए प्रबंधन ने अत्याधुनिक उपकरण खरीद की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। ब्रोंकोस्कोपी पल्मोनरी मेडिसिन के अधीन आता है। लेकिन अभी जनरल मेडिसिन ही मरीजों को देख रहे हैं।
वहीं उनके साथ एसआर मेडिसिन पल्मोनरी मरीजों का इलाज कर रहे हैं। पल्मोनरी के डॉक्टर की नियुक्ति हो गई है, लेकिन अभी ज्वाइन नहीं किया है। मेडिसिन विभाग इन मरीजों को देख रहा है। अब तक करीब 100 मरीजों की ब्रोंकोस्कोपी एम्स में हो चुकी है। इनमें अधिकतर टांडा, हमीरपुर और नेरचौक मेडिकल कॉलेज से रेफर किए हुए थे। उक्त मेडिकल कॉलेज में मात्र ब्रोंकोस्कोपी ही हो रही है। लेकिन एम्स में सीटी गाइड किया जाता है। इसमें बायोप्सी, पैथोलॉजी की सुविधाएं भी मरीज को एक साथ मिलती है।
जो प्रदेश के कई स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध नहीं है। किसी मरीज को अगर कैंसर की पहचान होती है तो एम्स में एमडी मेडिकल ऑन्कोलॉजी यानी कैंसर विशेषज्ञ भी मौजूद है। यह विशेषज्ञ पूरे प्रदेश में एक ही है। इस कारण भी यहां पर मरीज रेफर किए जाते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने गत सप्ताह एम्स बिलासपुर में ब्रोंकोस्कोपी सेवाओं का शुभारंभ किया था। यह सुविधा विभिन्न फेफड़ों संबंधी बीमारियों के निदान और उपचार में सहायक होती है।
इस सुविधा का उपयोग विभिन्न फेफड़ों की स्थितियों के लिए निदान के साथ चिकित्सीय ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रियाओं के रूप में किया जाएगा। व्यस्कों में ब्रोंकोस्कोपी प्रक्रिया में आमतौर पर 15 मिनट लगते हैं। इसे स्थानीय एनेस्थीसिया के तहत किया जाता है। रोगी आमतौर पर प्रक्रिया के एक घंटे बाद घर जा सकता है। रोगी को खाली पेट आना पड़ता है और उसे स्थानीय एनेस्थेटिक थ्रोट स्प्रे दिया जाता है। पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग के साथ नाक के माध्यम से प्रक्रिया की जाती है।