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उपचुनाव के बीच विधानसभा क्षेत्र लाहुल स्पीति में सियासी घटनाक्रम पल-पल बदल रहे है। कांग्रेस पार्टी से चुनाव लडऩे की अटकलों के बीच भाजपा के पूर्व मंत्री डाक्टर रामलाल मार्कंडेय ने अचानक निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। उनके इस ऐलान से भाजपा खेमे में भी हलचल देखी जा रही है। इससे पहले मार्कंडेय कांग्रेस से भी टिकट का दावा कर रहे थे लेकिन कांग्रेस में टिकट आबंटन को लेकर हो रही देरी के चलते अब उन्होंने निर्दलीय चुनावी रण में उतरने का ऐलान किया है।
साल 1998 में डाक्टर मार्कंडेय बतौर हिविकां प्रत्याशी पहली बार चुनाव लड़े थे। वह पहली बार ही चुनाव जीत कर मंत्री भी बन गए। डाक्टर मार्कंडेय ने बताया कि वह 27 अप्रैल से लाहुल में अपने चुनाव का शंखनाद कर प्रचार अभियान भी शुरू करने जा रहे हैं। पिछले करीब दो दशकों से डाक्टर मार्कंडेय भाजपा में रहे और भाजपा के टिकट पर साल 2007, 2012, 2017 और 2022 में चार बार चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं अब कांग्रेस के बागियों को भाजपा की टिकट देने के बाद लाहुल-स्पीति की राजनीतिक समीकरण में बड़े स्तर पर फेरबदल हुआ है। दरअसल भाजपा ने कांग्रेस के बागी विधायक रवि ठाकुर को टिकट दिया है। रवि ठाकुर को टिकट देने से पूर्व मंत्री डाक्टर रामलाल मार्कंडेय काफी नाराज चल रहे थे।
ऐसे में अब उन्होंने खुलेआम निर्दलीय चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है। 27 अप्रैल को डाक्टर मार्कंडेय भाजपा से रूष्ट चल रहे कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक कर डोर टू डोर अपना प्रचार अभियान भी शुरू करेंगे। मंगलवार को उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल बैठक भी की।
1998 में डाक्टर रामलाल मार्कंडेय हिमाचल विकास कांग्रेस से चुनाव लड़ा, लेकिन उसके बाद 2007 में उन्होंने फिर से भाजपा से चुनाव लड़ा तथा विधानसभा की दहलीज को पार करने में सफल हुए। उसके बाद 2012 में वह फिर से भाजपा के टिकट के चुनाव हार गए। 2017 में उन्होंने भाजपा से चुनाव लड़ा तथा जयराम सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।
उसके बाद 2022 में चुनाव हार गए, लेकिन अब लाहुल में बदले राजनीतिक समीकरण की वजह से अब उन्होंने आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है, जिससे कि लाहुल-स्पीति में तिकोना मुकाबला होने से राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बिगड़ गए है। अब लाहुल-स्पीति के विधानसभा उपचुनाव त्रिकोणा मुकाबला होने से और भी ज्यादा रोचक हो गए है।