हाइकोर्ट का आदेश: 'CPS को ना मंत्रियों वाली सुविधाएं मिलेगी, ना ही मंत्री की तरह काम करेंगे'

Anil Kashyap
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न्यूज अपडेट्स 
हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिव (CPS) बनाए गए 6 कांग्रेसी विधायकों में से कोई भी अब मंत्रियों जैसी सुविधाएं नहीं ले पाएगा। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को अपने अंतरिम आदेश में यह निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अगुवाई वाली सरकार में सालभर पहले 6 कांग्रेसी विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव (CPS) बनाया गया था। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी, BJP के 11 विधायकों ने इनकी नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है। इस याचिका में मांग की गई है कि CPS बने विधायकों को मंत्री के तौर पर काम करने से रोका जाए।

हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप शर्मा और जस्टिस विवेक ठाकुर की बेंच ने 2 और 3 जनवरी को केस की हियरिंग की। बुधवार को लगभग 3 घंटे चली सुनवाई के बाद अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में सरकार को निर्देश दिए कि किसी CPS को मंत्रियों जैसी सुविधाएं न दी जाए।

BJP विधायकों की ओर से केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट सत्यपाल जैन ने कहा- अब कोई CPS मंत्रियों के काम नहीं कर पाएगा। हाईकोर्ट के इस आदेश से इन CPS को हर महीने सैलरी के तौर पर मिलने वाले सवा 2 लाख रुपए भी नहीं मिलेंगे।

हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप शर्मा और जस्टिस विवेक ठाकुर की बेंच ने 2 और 3 जनवरी को केस की हियरिंग की। बुधवार को लगभग 3 घंटे चली सुनवाई के बाद अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में सरकार को निर्देश दिए कि किसी CPS को मंत्रियों जैसी सुविधाएं न दी जाए।

BJP विधायकों की ओर से केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट सत्यपाल जैन ने कहा- अब कोई CPS मंत्रियों के काम नहीं कर पाएगा। हाईकोर्ट के इस आदेश से इन CPS को हर महीने सैलरी के तौर पर मिलने वाले सवा 2 लाख रुपए भी नहीं मिलेंगे।

राज्य सरकार की ओर से पूर्व एडवोकेट जनरल श्रवण डोगरा ने अदालत में दलीलें पेश की। मामले की अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी।

ये कांग्रेसी विधायक बने हैं CPS: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस पार्टी के जिन 6 विधायकों को CPS बना रखा है, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्ट, अर्की के संजय अवस्थी, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, दून के राम कुमार चौधरी, पालमपुर के आशीष बुटेल और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं।

सरकार इन्हें गाड़ी, दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान वेतन दे रही है। इनकी नियुक्ति को BJP के 11 विधायकों के अलावा पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेस नामक संस्था और कल्पना नामक महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिका में इनकी नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की गई।

मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों की एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक, किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। हिमाचल विधानसभा में 68 MLA होते हैं इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री बन सकते हैं।

याचिका में कहा गया है कि हिमाचल और असम में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट एक जैसे हैं। सुप्रीम कोर्ट असम और मणिपुर में संसदीय सचिवों की नियुक्ति से जुड़े एक्ट को गैरकानूनी ठहरा चुका है। इस बात की जानकारी होने के बावजूद हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने अपने विधायकों की नियुक्ति बतौर CPS की। इसकी वजह से राज्य में मंत्रियों और CPS की कुल संख्या 15% से ज्यादा हो गई। इस केस की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की अपील पर CPS बने सभी कांग्रेसी विधायकों को व्यक्तिगत तौर पर प्रतिवादी बना रखा है।

हर महीने सवा 2 लाख रुपए वेतन-भत्ता: हाईकोर्ट में दाखिल पिटीशन में आरोप लगाया गया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। यानी यह विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।

याचिका में हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 को भी रद्द करने की मांग की गई। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद CPS की कौन-कौन सी सुविधाएं छीनेंगी? यह विस्तृत आदेश आने के बाद और स्पष्ट हो पाएगा।

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