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शिमला, 24 अक्टूबर: जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे एचआरटीसी कर्मचारियों को अब तीन साल से ज्यादा सेवाएं नहीं देनी पड़ेंगी। डिप्टी सीएम मुकेश अग्रिहोत्री पहले ही यह ऐलान कर चुके हैं। ऐसे में अब तीन साल से ज्यादा समय से जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे कर्मचारियों की वापसी होगी। राज्य सरकार ने तबादलों के ऊपर से बैन हटा दिया है।
तबादलों पर प्रतिबंध हटने के बाद निगम प्रबंधन ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। 485 से 500 के करीब कर्मचारी ऐसे हैं, जो जनजातीय क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालांकि जनजातीय क्षेत्रों में तीन साल सेवाकाल की शर्त का नियम पहले से तय है, लेकिन ज्यादातर कर्मचारी इन क्षेत्रों में सेवाएं देने से कतराते हैं, जिसके चलते यहां पर पहले से जो कर्मचारी तैनात है, वे सालों तक यहीं पर डटे रहते हैं। पूर्व सरकार ने इसके लिए रिलिवर की शर्त भी लगाई थी।
बावजूद इसके भी कर्मचारी जुगाड़ से अपना तबादला रुकवा लेते थे। अभी हाल में ही एचआरटीसी बीओडी की बैठक में इस मसले पर विस्तृत चर्चा करने के बाद निर्णय लिया गया था कि तीन साल से ज्यादा समय तक किसी को भी जनजातीय क्षेत्रों में नहीं रखा जाएगा।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने निगम प्रबंधन निर्देश दिए हैं कि जल्द ही ऐसे कर्मचारियों, जिनको इन क्षेत्रों में तीन साल व इससे ज्यादा का समय हो गया है, उन्हें अन्य स्थानों पर ट्रांसफर करें। निगम कर्मचारियों ने अनुसार जनजातीय क्षेत्रों में कई कर्मचारी इनमें चालक-परिचालक के अलावा तकनीकी कर्मचारी सालों से जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं दे रहे हैं। जनजातीय भत्ता सहित अन्य तरह के भत्ते इन कर्मचारियों को मिलते हैं।
पिछले काफी समय से इन भत्तों का नियमित तरीके से भुगतान नहीं हुआ। निगम ने जब इसका भुगतान किया, तो इस पर लाखों की देनदारियां निगम पर पड़ीं, जिसके चलते निगम ने इसमें बदलाव का निर्णय लिया है।