News Update Media
शिमला, 30 जून - हिमाचल पथ परिवहन निगम में वर्तमान समय में लगभग 1700 करोड़ से ज्यादा का घाटा है। वित्तीय स्थिति के अनुसार एचआरटीसी (HRTC) प्रबंधन को फिजूलखर्ची पर अंकुश लगाना चाहिए क्योंकि तभी इस घाटे से एचआरटीसी उभर सकती है। परंतु वर्तमान समय में एचआरटीसी के अधिकारी ठीक इसके विपरीत करते नजर आ रहे है।
आपको बता दें, इस डिजिटल युग में फास्ट टैग (Fast Tag) की व्यवस्था वाहनों के टोल टैक्स(Toll Tax) का भुगतान करने के लिए सरकार की तरफ से की गई है। जिसमें कहीं न कहीं टोल टैक्स की भुगतान राशि में छूट भी दी जाती है। सरकारी और निजी दोनों तरह के वाहनों में फास्ट टैग लगाना अनिवार्य है।
सूत्रों में अनुसार, एचआरटीसी के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से टोल कर पेनल्टी (Panelty) के साथ देना पड़ता है। क्योंकि जो बसों पर फास्ट टैग लगाए गए है उस बैंक खाते में समय रहते पैसा नहीं डाला जाता है। आखिर इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है? एचआरटीसी को फायदे में नहीं नुकसान में धकेलने का प्रयास किया जा रहा है जोकि एचआरटीसी की वित्तीय स्थिति(Financial Situation) के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है।
फोटो में आप देख रहे होंगे पहले टोल कर पर 230 रुपए टैक्स कटना था परंतु अधिकारियों की लापरवाही के कारण 460 रुपए टैक्स अदा करना पड़ा क्योंकि फास्ट टैग अकाउंट (Fast Tag Account) में पैसा नहीं था। वहीं, दूसरे टोल कर पर 125 रुपए टैक्स कटना था। फास्ट टैग अकाउंट में पैसा नहीं होने के कारण 250 रुपए अदा करना पड़ा। आप समझ सकते है टोल टैक्स पर दो गुना राशि का भुगतान किया गया। लगभग 355 रुपए टोल कर पर अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। एचआरटीसी के अधिकारी घाटे से उभारने की बात करते है क्या ऐसे एचआरटीसी घाटे से उभरेगी। आखिर कौन है इस घाटे का जिम्मेदार ?