राज्य में ओवरड्राफ्ट के हालात बन गए हैं। इस पर कैबिनेट ने गंभीर चिंता जताई है। राज्य में वर्तमान में 1,000 करोड़ रुपये का घाटा चल रहा है।
केंद्र सरकार के पास इस वक्त 8,500 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पड़े हैं। मुख्यमंत्री केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिले हैं। राज्य ने इस सीमा को भी हटाने को कहा है। अगर यह सीमा नहीं हटी तो कम से कम केंद्र के पास पड़ी परियोजनाओं के लिए बजट जारी करने का अनुरोध किया है। कैबिनेट बैठक में पावर डेवल्पर्ज से राज्य में विभिन्न ऊर्जा परियोजनाओं पर जल उपकर लगाने के बारे में चर्चा के लिए भी सचिव ऊर्जा की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने का निर्णय लिया गया। बैठक में वर्ष 2023-24 के लिए बार खोलने की अवधि दोपहर 12 से रात एक बजे तक निर्धारित करने को स्वीकृति दी।
हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था हांफ गई है। राज्य में ओवरड्राफ्ट के हालात बन गए हैं। इस पर कैबिनेट ने गंभीर चिंता जताई है। राज्य में वर्तमान में 1,000 करोड़ रुपये का घाटा चल रहा है। बुधवार को इस घाटे को पाटने के लिए 800 करोड़ रुपये का कर्ज लिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने केंद्र पर हाथ बांधने का आरोप लगाया है। विभिन्न योजनाओं के बजट और कर्ज में केंद्र से कटौती पर हताशा दर्ज की गई।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य सचिवालय में कैबिनेट बैठक हुई। इसमें पंजाब, हरियाणा के विरोध के बाद वाटर सेस पर चर्चा के लिए कैबिनेट ने सचिव ऊर्जा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई।कैबिनेट बैठक में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर प्रस्तुति दी। मुख्य सचिव ने बताया कि प्रदेश आज घाटे के चलते ओवरड्राफ्ट की स्थिति में है।
वर्तमान में राज्य में 1,000 करोड़ रुपये का घाटा है तो इसके लिए 800 करोड़ रुपये का कर्ज बुधवार को लिया जाएगा। इसके बाद भी प्रदेश के कोषागार घाटे में हैं। दिन-ब-दिन काम करने में दिक्कत आ रही है। केंद्र ने ऋण लेने की सीमा 5,500 करोड़ कम कर दी है। बाहरी एजेंसियों से वित्तीय सहायता में भी कटौती की गई है, जिसकी सीमा केवल 3,000 करोड़ निर्धारित की है।