बिलासपुर, 04 अप्रैल - केंद्र की भाजपा सरकार ने इस साल जनवरी माह में रिटायर्ड जवानों और अधिकारियों के लिए जो 'वन रैंक वन पेंशन' यानी 'ओआरओपी' के दूसरे अध्याय की अधिसूचना जारी की है उससे सिपाही से लेकर जूनियर कमांडिंग अफ़सर तक के सेवानिवृत्त सैनिकों में रोष है. हालांकि इससे 'लेफ्टिनेंट कर्नल' से लेकर 'मेजर जनरल' तक के अधिकारियों को फायदा मिलेगा लेकिन आम सैनिक फिर से वन रैंक का फायदा नहीं मिल पाया है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पूर्व सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन के नाम पर ठगा है। पूर्व की कांग्रेस सरकार ने 500 करोड़ रूपये का प्रावधान सर्वप्रथम वन रैंक वन पेंशन के लिए किया था, उसके बाद भाजपा के केंद्र सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यह वादा करके पूर्व सैनिकों के लिए वादा खिलाफी की है आज हालात यह हैं कि पूर्व सैनिक सड़को पर आ चुके है। पिछले कल जो पूर्व सैनिकों ने हिमाचल प्रदेश की सड़कों पर जो विरोध प्रदर्शन किया है उसका कांग्रेस पार्टी समर्थन करती है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की अग्निवीर योजना में भी वन रैंक वन पेंशन की योजना को सब साइड (दरकिनार) करने की ही कोशिश है। इस योजना में एक अग्निवीर सैनिक केवल चार वर्ष के कार्यकाल में घर बैठ जाएगा और चन्द पैसे लेकर पेंशन से भी वंचित हो जाएगा। यह भी भारतीय सेना के सेवानिवृत्त और अग्निवीर सैनिको के साथ खिलवाड़ है। इससे उनका मनोबल भी गिरता है और दूसरी तरह सेना की प्रतिष्ठावान छवि पर आम लोंगो की सोच में बदल सकती है।
उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों के संगठनों ने बकाये के भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की है। इसकी सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली खंडपीठ ने रक्षा मंत्रालय के सचिव को बकाया राशि के भुगतान के निर्देश दिए गए लेकिन वह अभी तक भी नहीं हो पाया है।