शिमला : एचआरटीसी बसों में महिलाओं को किराए में 50 प्रतिशत छूट दिए जाने के मामले पर अब प्रदेश के निजी बस ऑप्रेटर्ज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। हाईकोर्ट में एचआरटीसी बसों में महिलाओं के किराए में 50 प्रतिशत किराए के मामले के खारिज होने के बाद बस ऑप्रेटर्ज ने फैसला लिया है कि पहले वह फैसले की कॉपी का इंतजार करेंगे और इसके बाद कानूनी सलाह लेंगे और विचार-विमर्श कर इसके बाद अगला कदम उठाएंगे।
ये है नाराजगी
प्रदेश में जब से एचआरटीसी की बसों में महिलाओं का किराया 50 प्रतिशत कम हुआ है तब से निजी बस ऑप्रेटर्ज का कारोबार ठप्प पड़ गया है। प्रदेश में करीब 3300 प्राइवेट बसें हैं, जिनमें शहर व लाॅन्ग रूट पर बसें चल रही हैं। बस ऑप्रेटर्ज का कहना है कि जहां एचआरटीसी में महिलाओं को किराए में 50 प्रतिशत छूट मिलने से सरकारी बसें भर कर जा रही हैं। वहीं प्राइवेट बसें खाली जा रही हैं। प्रदेश में 45 प्रतिशत घाटे में बस ऑप्रेटर्ज बसें चला रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यदि एक महिला अपने परिवार के साथ बसों में सफर कर रही है तो वह एचआरटीसी बस में सफर करेगी। वहीं उसका परिवार भी उसी बस में जाएगा। इससे प्राइवेट बसों को घाटा हो रहा है।
सरकार से निर्णय को वापस लेने की मांग करेंगे
निजी बस ऑप्रेटर्ज संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा कि सरकार ने पिछली सरकार के पिछले 6 माह लिए गए फैसलों पर समीक्षा की बात कही है। महिलाओं को किराए में 50 प्रतिशत छूट देने का फैसला भी पिछली सरकार का एक चुनावी फैसला था। सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग करेंगे। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को परिवहन विभाग मिला है आगामी दिनों वह ऊना आएंगे। इस समय इस मामले में उनसे चर्चा की जाएगी और आग्रह किया जाएगा।