शिमला : हिमाचल प्रदेश में 12 नवम्बर को होने वाले विधानसभा चुनाव के दृष्टिगत कांग्रेस व भाजपा ने अपने-अपने घोषणा पत्र जारी कर दिए हैं, वहीं भाजपा ने संकल्प पत्र 2022 को जारी किया है। दोनों पत्रों पर नजर दौड़ाई जाए तो पुरानी पैंशन बहाली को लेकर कांग्रेस ने अपनी बात जोरदार तरीके से रखी है।
राजस्थान व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत और भुपेश बघेल ने ओपीएस की पर अपनी बात रखते हुए स्पष्ट किया कि यहां की कांग्रेस सरकारों ने इसे लागू किया है तथा हिमाचल में भी कांग्रेस सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में इसे लागू किया जाएगा। कांग्रेस के सत्ता में आते ही 3 लाख सरकारी कर्मचरियों को पुरानी पैंशन स्कीम का वायदा बड़ा निशाना हो सकता है। इस समय राजस्थान व छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों, झारखंड की सांझा सरकार और पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ओपीएस बहाल कर चुकी हैं और केंद्र सरकार द्वारा इस विषय में विरोध में उठाए तर्कों को नकार चुकी हैं।
भाजपा ने इस तरह किया समझाने का प्रयास
भाजपा के घोषणा पत्र में पुरानी पैंशन स्कीम को शामिल नहीं किया गया है लेकिन पार्टी के नेता यह कहकर कर्मचारियों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा जो इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेगी लेकिन कर्मचारी नेता यह स्वीकार करने को राजी नहीं हैं और उनका तर्क है कि डबल इंजन की सरकार के चलते पिछले 5 वर्षों के शासन काल में इसे हल किया जा सकता था। विश्लेषकों का मानना है कि केंद्र सरकार केवल हिमाचल को लेकर इस मामले में फैसला नहीं ले सकती क्योंकि अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी यह मांग उठेगी।
एनपीएस व ओपीएस को समझें
जानकारों के मुताबिक ओपीएस के अंतर्गत कर्मचारी मूल वेतन का 10 प्रतिशत जमाकर्ता है और इतना ही सरकार देती है और सेवानिवृत्त होने पर अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत आजीवन पैंशन के रूप में अदा किया जाता है। इसके विपरीत एनपीएस में कर्मचारी अपनी इच्छा से राशि तय कर सकता है और सरकार भी उसमें योगदान करती है और सेवानिवृत्ति पर कर्मचारी 60 प्रतिशत पैसा प्राप्त कर सकता है तथा बकाया सरकार निवेश कर पैंशन देती है जिसमें आजीवन पैंशन का प्रावधान नहीं है।
कुछ इन बिंदुओं पर भी जोर
कांग्रेस ने जहां सरकारी क्षेत्र में एक लाख पद भरने की बात कही है। भाजपा ने जहां छात्राओं को स्कूटी व साइकिल देने की बात की है, वहीं कांग्रेस ने हटके महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए देने की बात की है। 300 यूनिट बिजली फ्री देने की बात की है। उधर, भाजपा की बात करें तो राज्य में 125 यूनिट बिजली पहले से ही फ्री मिल रही है। इन सब वायदों के बीच चुनावी उत्सव में मतदाताओं की मनोस्थिति और उनके फैसले का पता मतदान (12 नवम्बर) के 26 दिन बाद (8 दिसम्बर मतगणना वाले दिन) चलेगा। 8 दिसम्बर को ही गुजरात में मतगणना होगी।