चुनाव ड्यूटी पर तैनात चुनाव अधिकारियों और कर्मचारियों ने पहली बार क्यूआर कोड स्कैन कर शिमला, मंडी, हमीरपुर और धर्मशाला में मतदान कराने से पहले मतदाताओं के दस्तावेजों की जांच की। इन सभी शहरों में सभी वोटरों को क्यूआर कोड वाली वोटर स्लिप घर-घर जाकर जारी की थीं। राज्य चुनाव विभाग के अधिकारियों के अनुसार शिमला शहर में 91, मंडी में 111, हमीरपुर 94 और धर्मशाला के 89 मतदान केंद्रों में यह सुविधा उपलब्ध की गई थी।
मतदान केंद्र में जैसे ही वोटर स्लिप के क्यूआर कोड को स्कैन किया जा रहा था तो संबंधित वोटर का फोटोयुक्त वोटर कार्ड मोबाइल में सामने आ रहा था। इसके बाद वोटर को वोट डालने के लिए लिए जरूरी दस्तावेज की जांच की जाती रही।
जैसे ही वोटर बटन दबा रहे थे तो वीवीपैट पर सात सेकेंड के लिए प्रत्याशी का चुनाव चिह्न डिस्प्ले हो रहा था, ताकि वोटर यह सुनिश्चित कर सके कि जिसे वोट डाला है, क्या वह वही प्रत्याशी है। इसके बाद वीवीपैट से निकली स्लिप मशीन के अंदर चली जाती है। इसके बाद यह जानकारी भी चुनाव आयोग के पास तुरंत मिल रही थी कि कितने वोट कब-कब कहां डाले गए।
पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में होती है वीवीपैट स्लिपों की जांच
निर्वाचन आयोग की ओर से तैनात चुनाव पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में वीवीपैट स्लिपों की जांच की जाती है। विधानसभा क्षेत्रों के पांच मतदान केंद्रों की वीवीपैट मशीनों से निकलने वाली स्लिपों की जांच की जाती है कि कहीं ईवीएम से कोई छेड़छाड़ तो नहीं की गई है।
प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी दलीप नेगी ने कहा कि वीवीपैट की ये पर्चियां कहीं एक ही पार्टी के प्रत्याशियों की तो नहीं निक ली हैं, यह देखा जाता है। ये मशीनें पर्यवेक्षक सभी मशीनों में से चुनकर जांचते हैं।