हिमाचल में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते जा रहे है, जाति आधारित आंकड़ों की बात हर विधानसभा होनी शुरू हो गई है। कुछ उम्मीदवार केवल एक ही आधार पर टिकट मांग रहे हैं कि उनके जातीय वोट बहुत ज्यादा है। ऐसे मामले कई विधानसभा क्षेत्रों से निकल कर सामने आए हैं लेकिन आज हम यहां केवल नाचन विधानसभा के बारे बात करेंगे। जहां कुछ उम्मीदवारों द्वारा झूठे जातीय आंकड़े कांग्रेस हाईकमान के सामने पेश करके टिकट पर दावेदारी जता रहे है। हमारी समझ में यह केवल कांग्रेस हाईकमान को उलझाने का एक तरीका मात्र है ताकि झूठे आंकड़े पेश करके टिकट के ऊपर कब्जा किया जा सके।
नाचन कांग्रेस पदाधिकारियों द्वारा भेजा गया वायरल पत्र
पिछले दिनों एक पत्र वायरल हुआ, इस पत्र में सचाई को दरकिनार करते हुए नाचन विधानसभा में राजपूत वोट 39600, ओबीसी वोट 5000, माइनॉरिटी वोट 2600 दर्शाए गए लेकिन यह आंकड़े झूठे है। इतना ही नहीं इस पत्र में कोली जाति के टीकटार्थी को टिकट मिले, इस बात का पूरा ध्यान रखा गया और कोली जाति के वोट 22,000 दिखाए गए। इस पत्र में रविदासी समुदाय के वोट 8500 तेली व चनाल जाति के वोट 6500, लोहार जाति के वोट 2200, डुमणा जाति के वोट 2800 व बाकी जुलाहा, हेसी नाथ आदि जातियों के कुल वोट 1000 बताए गए। जानकारी तो यह भी है कि यह पत्र नाचन कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों द्वारा हाईकमान को भेजा गया ताकि नाचन में कोली जाति का वर्चस्व कायम रहे।
दूसरा जातीय समीकरण पर आधारित वायरल पत्र
नाचन में एक दूसरा पत्र वायरल हुआ है जिसमें जाति आधारित आंकड़ों को पूरी तरह से तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है। इस पत्र में जनरल के वोट 40,000 और बाकी लोगों की वोटिंग 50,000 दिखाई गई है। जबकि यह पत्र भी सच्चाई से कोसों दूर है। हमारी जानकारी के मुताबिक नाचन में जनरल और दूसरे लोगों की वोटिंग में महज 48 और 52 प्रतिशत का अंतर है। इस पत्र में आप साफ़ देख सकते हैं कि 2200 से 2800 वोटिंग वाले लोहार समुदाय की वोटिंग को सीधा 14000 दर्शाया गया है, जोकि किसी भी हाल में सही नहीं हो सकता है और टिकट हथियाने की साजिश नजर आ रही है।
नाचन में सामान्य वर्ग के लोगों की वोटिंग का महत्व
नाचन विधानसभा में एससी और एसटी वर्ग के वोटों की बात की जा रही है, लेकिन सामान्य वर्ग को वोटिंग को दूध में पड़ी मक्खी जैसे बाहर फेंका जा रहा है। जबकि यह तय है कि अगर सामान्य वर्ग एक तरफा वोटिंग करे तो वह अपनी पसंद के किसी भी उम्मीदवार को जीता सकते है और यह जाति आधारित आंकड़े पेश करने वाले केवल मुंह ताकते रह जाएंगे। असल बात यह है कि कोई भी टिकट का दावेदार यह नही चाहता कि नाचन सीट ओपन हो और जनरल के लोगों को नाचन से राजनीति करने का मौका मिले। जानकारी के मुताबिक कई टिकट के दावेदारों ने अपनी जाति की वोटिंग ज्यादा बता कर हाई कमान को यहां तक कहा है कि अगर उनको टिकट नहीं मिला तो नाचन में कांग्रेस नही जीत सकती। जबकि सामान्य वर्ग चाहे तो कोई भी फेर बदल कर सकता है।
जाने क्या है टिकट के दावेदारों के दावों को सच्चाई
आपको बता दें कि दोनों वायरल हुए पत्रों में सच्चाई को छुपाने और नाचन विधानसभा क्षेत्र के टिकट पर जातीय आधार पर कब्जा करने की कोशिश हो रही है। हमारी जानकारी के मुताबिक 2021 में हुए उपचुनाव में कोली जाति(बशेहडू राजपूत और कोली) की कुल वोटिंग 9000 की हुई थी। जोकि उपरोक्त सभी वायरल पत्रों पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
इसके साथ-साथ आपको बता दें कि नाचन में कोली जाति दो भागों में बंटी हुई है, जिनमें से एक खुद को बशेहडू राजपूत कहती है और दूसरी को कोली कहा जाता है। बशेहडू राजपूतों ने खुद को जनरल घोषित करने के लिए हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में केस भी लगा रखा है। आपको बता दें कि यह दोनों जातियां आपस में भेदभाव और छुआछूत करती है तथा इनमें शादी व्याह जैसे कोई भी रिश्ते नहीं है। हमारी जानकारी के मुताबिक नाचन में बशेहडू राजपूतों के महज 4000 वोट है और कोली जाति के 8200 से ज्यादा वोट नहीं है।
इस मामले में राइट न्यूज इंडिया की टीम ने नाचन विधानसभा क्षेत्र में लगभग 4216 आम लोगों को कॉल करके उनकी राय पूछी, तो उनका कहना था कि नाचन में इस बार कोली जाति का उम्मीदवार नहीं चलेगा। क्योंकि यह पिछले 65 सालों से नाचन में राज करते आ रहे हैं, जिनमें 4000 मदादातों वाले बशेहडू राजपूतों में 55 साल राज किया और दूसरे कोली समाज का 10 साल से विधायक है। उनका कहना है कि भाजपा से कोली जाति का विधायक है और इस बार उसको एक बार फिर टिकट मिलना तय माना जा रहा है।
जबकि कोली जाति के विधायकों ने दूसरी जातियों का जरा भी ध्यान नहीं रखा है। लोगों का कहना है कि इस जाति के विधायकों ने केवल अपने जाति के लोगों और खासकर अपने रिश्तेदारों का ही विकास किया है। आम जनता में से अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों का कहना है कि कोली जाति को छोड़ कर एससी वर्ग लोगों के कुल 28000 वोट से भी ज्यादा है, झूठे जातीय समीकरण पेश करने वालों ने उनके अधिकार छीने है और अनदेखी की है। जिसके चलते वह भी कोली जाति के उम्मीदवारों से नाराज है। नाचन में कोली जाति के कुल वोट 13000 के आसपास हैं और बाकी जातियों के वोट लगभग 70 हजार के आसपास है। जबकि इस बार नाचन में कुल वोटिंग 65 हजार के आस पास होने के आसार हैं।
नाचन में सामान्य वर्ग के लोगों की होती है अनदेखी; सुरेश कुमार
इन सभी समीकरणों के बारे जब पत्रों को वायरल करने वाले राइट फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार से बात की गई तो उनका कहना था कि 21वीं सदी में जाति आधारित राजनीति करना बेहद शर्मनाक है। यह हर उस आदमी की नीचता को दिखाता है जिसने भी जाति आधार पर टिकट मांगा है। उनका कहना है कि नाचन में आज तक कोई भी योग्य विधायक नही रहा है। इसलिए नाचन शिक्षा, स्वास्थ्य, टूरिज्म, रोजगार और विकास के मामलों में पिछड़ा रहा है। उनका कहना है कि अगर उनको टिकट मिलता है तो वह एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करेंगे जिसकी पूरे देश में मिसाल दी जाएगी। उन्होंने बताया कि वह पिछले 8 सालों से राइट फाउंडेशन एनजीओ चला रहे है। सामाजिक न्याय, अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना उनके मुख्य उद्देश्य है। आज तक उन्होंने किसी भी व्यक्ति के साथ जाति, धर्म या राजनीति के आधार पर भेदभाव नही किया और सभी को न्याय दिलाया है।
नाचन के भाजपा विधायक विनोद कुमार के कारण है राजनीतिक आरक्षण
राइट फाउंडेशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार ने यह भी कहा कि सबसे ज्यादा मत होने के बाबजूद सामान्य वर्ग की अनदेखी उनके साथ सबसे बड़ा अन्याय है और आज तक नाचन में सामान्य वर्ग के साथ अन्याय ही हुआ है। जो साफ तौर पर हर जगह दिखता है। सामान्य वर्ग के लोगों के वोट लिए जाते है लेकिन उनके अधिकारों और विकास का जरा भी ध्यान नहीं रखा जाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि वर्तमान विधायक विनोद कुमार ने भरी विधानसभा में नाचन के सामान्य लोगों को जातिवादी बताया था। इतना ही नहीं नाचन के विधायक की ओर से एक व्यक्ति के खिलाफ एससी एसटी एक्ट में मुकदमा भी दर्ज करवाया गया था। नाचन के वर्तमान विधायक विनोद कुमार और राजीव सैजल के कारण राजनीतिक आरक्षण 10 साल के लिए बढ़ाया गया था। नही तो आज हिमाचल में एक भी आरक्षित विधानसभा क्षेत्र नही होता।
सुरेश कुमार ने आगे कहा कि कांग्रेस हाई कमान को चाहिए कि ऐसे झूठे जातीय आंकड़ों को पेश करने वालों और मानव को मानव से बांटने वालों को तत्काल आवेदन रद्द करके बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। ताकि योग्य और सभी का बराबर विकास करने वाले उम्मीदवार को मौका मिल सके। अब देखना यह होगा कि क्या कांग्रेस हाईकमान नाचन में टिकट जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए देती है या फिर योग्यता को महत्व देकर किसी योग्य उम्मीदवार का चुनाव किया जाता है।