मंगलवार को राज्य सचिवालय में प्रधान सचिव शिक्षा मनीष गर्ग की अधिकारियों से हुई बैठक में इस मामले को लेकर कोई समाधान नहीं निकल सका। एक या दो वर्ष के नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (एनटीटी) डिप्लोमा में किसे भर्ती में प्राथमिकता दी जाए, इसे लेकर फैसला नहीं हो पा रहा है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के चयन को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। भर्ती के लिए इन दोनों वर्गों में अधिकतम आयु वर्ग को तय करने के लिए भी कोई सहमति नहीं बन सकी है।
शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रस्ताव को अंतिम रूप नहीं दे सके हैं। ऐसे में वीरवार की कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पेश करने के आसार कम हैं। प्रदेश के प्री प्राइमरी स्कूलों में नर्सरी-केजी कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के लिए 4,000 शिक्षकों की भर्ती की जानी है। बीते कई माह से प्री प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती का मामला फाइलों में ही घूम रहा है।
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन (एनसीटीई) से मान्यता प्राप्त एनटीटी संस्थानों से डिप्लोमा करने वाले ही भर्ती में शामिल होंगे। प्री प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के 70 फीसदी पद एनटीटी, अर्ली चाइल्ड हुड केयर कोर्स करने वालों और 30 फीसदी पद आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से भरने का प्रस्ताव है। एनसीटीई के नियमों के तहत भर्ती की जानी है।