Agnipath Scheme: अग्निपथ योजना से अग्निवीरों में हताशा ज्यादा, जनून कम : राम लाल ठाकुर

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य, पूर्व मंत्री व विधायक श्री नयना देवी जी राम लाल ठाकुर ने अग्निपथ योजना को लेकर तर्कपूर्ण प्रश्न खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि क्या कारण रहा कि सेना के तीनों अंगों के सुपिरियर्स को अग्निपथ योजना पर पत्रकारवार्ता करनी पड़ गई, उन्होंने पूछा कि क्या इस देश को सेना चला रही है या देश की लोकतांत्रिक सरकार जो लोगो के द्वारा चुनी गई है या फिर सरकार अपना विश्वास खो चुकी है। 

गृह मंत्रालय और डिफेंस मंत्रालय अग्निपथ के मुद्दे पर फेल हो चुके है। क्या डिफेंस मंत्रालय यह बता सकता है कि यह नीति किस देश से नकल की गई है। पिछले 70 वर्षों  के बाद सेना के सिस्टम में अचानक बदल दिया जाता है, तो ऐसे में युवाओं में घबराहट और भ्रम होना लाजमी है। अग्निपथ योजना में जिन नौजवानों ने ग्राउंड और मेडिकल टेस्ट पास के लिए है उनके बारे में सरकार क्यों चुप है।यदि अग्निपथ भर्ती योजना को 2020 शुरू किया जाना था तो बीच में सेना भर्ती के नाम पर ड्रामा क्यों रचा गया, क्यों लाखों युवाओं के ग्राउंड और मेडिकल टेस्ट करवाए गए हैं। 

अग्निपथ योजना को लागू करने में कोविड महामारी का बहाना बनाना देश के युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। वर्ष 2020 के बाद के ये युवा ‘न तो यहां के रहे, न ही वहां के। यही   वह समूह है जो इस योजना के विरोध सबसे मुखर क्योंकि उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। अभी तो यह भी तय होना बाकी है कि योजना के पीछे के इरादे ने नेक है या नहीं।  लेकिन सरकार को समझना चाहिए था कि पारंपरिक व्यवस्था से बाहर निकलना हमेशा कठिन होता है। राम लाल ठाकुर ने प्रश्न खड़े करते हुए कहा है कि क्या सेना में 24 हफ्तों की ट्रेनिंग पर्याप्त है? 

उन्होंने कहा कि ट्रेनिंग की अवधि महत्वपूर्ण नहीं होती लेकिन गुणवत्ता अहम होती है। 36 वर्ष की आयु में जो दिया जाता है वह जॉब के दौरान संतुलन के साथ 24 वर्ष की उम्र भी दिया जा सकता है।  बेसिक ट्रेनिंग से परे, एयर डिफेंस, सिग्नल कोर आदि के लिए विशेष ट्रेनिंग पर विचार करने की आवश्यकता होनी चाहिए थी लेकिन जिसका जिक्र तक नहीं है। सेना के इस अनुबंध का समय ज्यादा बढ़ाया जाना चाहिए लेकिन उनका मानना है कि सेना में अनुबंध होना ही नहीं चाहिए। सेना ठेकेदारी व अनुबंधीय व्यवस्था पर रखना एक गलत कदम है। 

उन्होंने कहा कि नई योजना के साथ कम से कम दो साल के प्रयोग के बाद ही इस तरह का निर्णय लिया जाना चाहिए था। सेना में जॉब सेटेबिली की अवधारणा होनी चाहिए। आज के दौर में  11-12 लाख रुपये कुछ नहीं होते जबकि जॉब सेटेबिली ज्यादा महत्वपूर्ण विषय है। अग्निपथ के अग्निवीरों में मन में यह संदेह हमेशा रहेगा कि वह सेना  में काम कर रहे है और वह अपने भविष्य के बारे में अनिश्चित हैं। इस भावना से ग्रसित अग्निवीर सैनिक कभी भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं कर पायेंगे। जबकि संभावित अग्निवीरों को विश्वसनीय बनाना मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। 

इनको आश्वासन व्यक्त करने का सबसे अच्छा तरीका यह होना चाहिए कि इस पर कानून बनाना चाहिए था। इसकी विश्वसनीयता को बनाये रखने के लिए कि क्या राज्य सरकारें इनकी भर्ती अन्य विभागों में लेने की जिम्मेदारी तय कर पायेगी और क्या कॉरपोरेट सेक्टर और निजी कम्पनियां इनको अपने उपक्रमों में भर्ती कर लेने  की जिम्मेदारी लेंगी। 

प्रथम दृष्टया इस योजना का वित्तीय पक्ष आकर्षक हो सकता है लेकिन वित्तीय पैकेज और एक असुनिश्चित नौकरी, इस योजना की पूर्ण सफलता को सुनिश्चित नहीं कर पा रही है।  सुनिश्चित नौकरी हासिल करना अग्निवीरों के लिए एक बड़ी चुनौती रहेगी वह भी उस उम्र जब उनकी उम्र गृहस्थी बढाने का समय होगा। चार साल के अनुबंध के बाद, अग्निवीर के भविष्य से संबंधित चिंताएं गंभीर हैं। 

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