'पवन हंस’ को भी बेचेगी सरकार, राजीव गांधी के समय बनी थी हेलीकॉप्टर कंपनी

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हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनी पवन हंस लिमिटेड की बिक्री को अंतिम रूप देने की तैयारी चल रही है। सूत्रों के मुताबिक कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में अधिकारियों का एक समूह बैठक करने वाला है। आपको बता दें कि पवन हंस की बिक्री के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील लिमिटेड और जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड ने भी दिलचस्पी दिखाई है।

सरकार पवन हंस में अपनी 51 फीसदी की समूची हिस्सेदारी बेच रही है। बाकी 49 फीसदी हिस्सेदारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के पास है और वह भी अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है।

पवन हंस की स्थापना 1985 में की गई थी और इसके पास 40 से अधिक हेलीकॉप्टर का बेड़ा है। इसमें 900 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं जिनमें से आधे से भी कम कर्मचारी स्थायी हैं। यह कंपनी ओएनजीसी की अन्वेषण गतिविधियों के लिए और भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए हेलीकॉप्टर सेवाएं प्रदान करती है।

सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए 2018 में निविदाएं आमंत्रित की थीं। हालांकि जब ओएनजीसी ने अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया तो सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए। 2019 में कंपनी को बेचने का एक और प्रयास हुआ था लेकिन तब निवेशकों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब एक बार फिर कोशिश की जा रही है।

सरकार की पवन हंस की बिक्री से विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी। सरकार मार्च 2023 तक कुछ कंपनियों में अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री सहित विनिवेश से 650 अरब रुपये (8.5 अरब डॉलर) जुटाने का लक्ष्य बना रही है।

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