जिला न्यायवादी भुवनेश मिन्हास ने बताया कि मृतक प्रवीण लता की बहन सोनिया ने पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवाई थी कि अजय कुमार ने 8 अगस्त 2017 को दोपहर को फोन करके बताया कि उसने अपनी पत्नी प्रवीण लता पर कुल्हाड़ी से वार कर कर दिया है और वह कोमा में चली गई है। सोनिया ने आरोपी अजय कुमार की बात पर विश्वास नहीं किया।
उसी दिन शाम को आरोपी अजय कुमार का फोन दोबारा आया और कहने लगा कि बेटे अमन व बेटी सपना को फोन कर दो ताकि वह आकर इसका अंतिम संस्कार कर दें। इसके बाद सोनिया ने अपनी बहन के बेटे अमन को फोन पर सारी बात बताई और बहन के मकान मालिक को भी फोन किया, जिस पर मकान मालिक ने बताया कि उसकी बहन वहां नहीं थी।
9 अगस्त को आरोपी अजय का दोबारा फोन आया और कहने लगा कि आप जाते क्यों नहीं हो, साथ ही उसने पुलिस थाने का नंबर भी दिया। थाने में संपर्क करने पर पता चला कि प्रवीण लता अस्पताल में उपचाराधीन है। अगले दिन 10 अगस्त को सोनिया व उसकी मां निर्मला देवी व भाई विक्रम अस्पताल पहुंचे। इस दौरान उन्होंने देखा कि प्रवीन लता के सिर व मुंह पर चोटें आई थीं और बेहोशी की हालत में थी। सोनिया की शिकायत पर आरोपी अजय कुमार पर जानलेवा हमला करने के आरोप लगाए गए जिस पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस जांच के दौरान घटनास्थल पर दो खाली बोतलें शराब की मिलीं, जिनमें से एक टूटी हुई थी व एक पत्थर मिला, जिससे पीड़िता पर वार किया गया था।
27 सितम्बर, 2017 को उपचार के बाद प्रवीण लता को डिस्चार्ज कर दिया गया था लेकिन 6 नवम्बर, 2017 को पीड़िता की मृत्यु हो गई, जिसके बाद अदालत ने मुकद्दमे को धारा 302 भारतीय दंड संहिता के अनुसार दर्ज किया। मुकद्दमे के दौरान अदालत में लगभग 37 गवाहों को पेश किया किया गया। मामले की पैरवी जिला न्यायवादी संदीप अग्निहोत्री व एलएम शर्मा ने की। न्यायालय ने आरोपी को को उम्र कैद व 30 हजार जुर्माने की सजा सुनाई।