प्रोजेक्ट मैनेजर राजीव सोनी ने बताया कि शुरुआती दौर में कम्पनी को टनल बनाने के लिए पहाड़ों के चैलेंज का भी काफी सामना करना पड़ा लेकिन फिर भी कम्पनी ने इसे समय पर पूरा कर लिया है। धरोट में बनी इस टनल के ब्रेक थ्रू होने के साथ ही इस रेलवे लाइन ने सफलता की सीढ़ी के एक और पायदान को चढ़ने में सफलता पाई है।
इस टनल का कार्य पूरा करने के लिए कम्पनी को 6 माह का समय लगा है। इस रेलवे लाइन में कुल 10 टनलें हैं जिनमें से सात टनलों के दोनों छोरों को आपस में मिला दिया गया है। कम्पनी की माने तो इस रेलवे ट्रैक को वर्ष 2025 तक बनाने का लक्ष्य कम्पनी द्वारा निर्धारित किया गया है।