हिमाचल प्रदेश : सरकार की गलत घोषणा से पर्यटन व परिवहन हुआ प्रभावित : जीएस बाली

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कांगड़ा: यह जो त्रासदी आई है जिसमें कई लोगों की जान गई व कई मकान गिरे, इसका मुख्य कारण पानी की निकासी के स्थान पर लोगों द्वारा मकान बनाना है। त्रासदी ने कई बेगुनाहों की जान ली। इस त्रासदी से निपटने के लिए सरकार पूरी तरह से नाकामयाब रही। यह बात पूर्व मंत्री जीएस बाली ने कही। उन्होंने कहा कि वह खुद वहां गए थे। वहां काफी नुक्सान हुआ है और अब भी कई लोग लापता हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग अभी भी मलबे में दबे हैं, उनके बच पाने की संभावना बहुत कम है। उन्होंने कहा कि सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। दबे लोगों को निकालने का काम तेजी से होना चाहिए था।

जीएस बाली ने कहा कि कोविड-19 से व्यापार, बस चालकों, होटल इंडस्ट्री व अन्य जगह जो नुक्सान हुआ है उससे उभरने में अभी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि इस त्रासदी के बाद प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि जो जहां है वहीं रहे। इससे पर्यटक सहम गए व उनका आना बंद हो गया। इससे होटल व टैक्सी वालों का कारोबार फिर से ठप्प हो गया। इस अपील का पूरे देश में यह मैसेज गया कि बहुत बड़ी तबाही हुई है और कोई हिमाचल न आए। उन्होंने कहा कि 4 लाख मुआवजा देने की जो बात की जा रही है, वह तो पहले ही एक्ट में है। सरकार को कुछ हट कर करना चाहिए था और जिन लोगों के मकान बह गए हैं या नुक्सान हुआ है उनके मकानों को फिर से बनाए जाने की घोषणा करनी चाहिए थी।

जीएस बाली ने कहा कि कोविड की मार से प्रदेश व देश प्रभावित हैं। कई लोग बेरोजगार हो गए हैं, पैट्रोल के दाम 100 रुपए से ऊपर निकल गए हैं। इससे लगता है कि सरकार नाम की कोई चीज बाकी नहीं बची है। उन्होंंने कहा कि गलत नीतियों के कारण एचआरटीसी कंगाली की कगार पर पहुंच गया है। एचआरटीसी की बसों और वोल्वो को न चलाकर इस विभाग के साथ कुठाराघात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री यहां आए थे तो उन्होंने रेल मार्ग व एयरपोर्ट को बड़ा करने की घोषणा की थी, वह घोषणा कागजों में ही रह गई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय व अन्य जगह जहां गलत नियुक्तियां हुई हैं उसका सरकार संज्ञान ले, नहीं तो वह इसके विरुद्ध कोर्ट में जाएंगे। उन्होंने कहा कि 205 नई बसें खरीदने की क्या जरूरत है जबकि हमारे पास हर जगह नीली बसें खड़ी हैं।

एक प्रश्न के उत्तर में जीएस बाली ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश का विकास करवाया है, वह बहुत बड़े नेता थे। उन्होंने कहा कि शांता कुमार के बाद कांगड़ा से कोई मुख्यमंत्री नहीं आया, जबकि मंडी, हमीरपुर व शिमला जिलों से मुख्यमंत्री आ चुके हैं। हालांकि सरकार बनने का रास्ता कांगड़ा से होकर जाता है। उन्होंने कहा कि इस बार मुख्यमंत्री कांगड़ा जिले का होना चाहिए।

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