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शिमला, 25 मई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने शिमला होटल ब्लास्ट और विमल नेगी मामले में बड़े खुलासे किए। उन्होंने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू और वर्तमान डीजीपी अतुल वर्मा पर जांच को प्रभावित करने का आरोप लगाया। गांधी ने कहा कि पुलिस विभाग की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। यह विवाद हिमाचल प्रदेश पुलिस में अनुशासन और जवाबदेही पर सवाल उठाता है।
विमल नेगी मामले में डीजीपी पर आरोप
संजीव गांधी ने विमल नेगी मामले में डीजीपी अतुल वर्मा पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने दावा किया कि डीजीपी ने अदालत में झूठा हलफनामा दायर किया। जांच में हस्तक्षेप और सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश का आरोप भी लगाया। गांधी के मुताबिक, नेगी के शव के पास से एक पेनड्राइव गायब थी, जिसे उनकी टीम ने बाद में बरामद किया। उन्होंने अपनी 26 साल की सेवा में ईमानदारी से जांच करने की बात कही।
शिमला होटल ब्लास्ट में फर्जी सबूत का दावा
शिमला होटल ब्लास्ट मामले में संजीव गांधी ने पूर्व डीजीपी संजय कुंडू पर गंभीर इल्जाम लगाए। उन्होंने कहा कि कुंडू ने एनएसजी की मदद से फर्जी सबूत बनाए। इसे आतंकी घटना दिखाने की कोशिश की गई, लेकिन जांच में आरडीएक्स का कोई सबूत नहीं मिला। गांधी ने दावा किया कि कुंडू ने अधिकारियों को झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रची। यह खुलासा पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है। हिमाचल पुलिस
निशांत शर्मा केस में बिना पक्षपात कार्रवाई
संजीव गांधी ने बताया कि निशांत शर्मा के मामले में उन्होंने बिना पक्षपात हाई कोर्ट में हलफनामा दायर किया। यह हलफनामा तत्कालीन डीजीपी संजय कुंडू के खिलाफ था। गांधी ने आरोप लगाया कि कुंडू ने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दबाव डाला और झूठी रिपोर्ट तैयार करवाई। इस मामले में भी जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई। गांधी ने कहा कि उन्होंने हमेशा निष्पक्षता के साथ काम किया।
सिस्टम और जवाबदेही पर सवाल
संजीव गांधी ने कहा कि उन्होंने सभी तथ्य राज्य सरकार और एडवोकेट जनरल को समय-समय पर बताए। फिर भी, कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बीजेपी विधायक सुधीर शर्मा पर भी अपनी छवि खराब करने का आरोप लगाया। गांधी ने स्पष्ट किया कि यह मामला केवल अफसरों की आपसी लड़ाई नहीं है। यह सत्ता, सिस्टम और जवाबदेही के बीच की गहरी खाई को उजागर करता है।